अब चेतावनी बिंदु के नीचे बह रही हैं गंगा, बाढ़ का पानी उतरने के साथ कीचड़, मच्छर और दुर्गंध ने बढ़ाई परेशानी
वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी में गंगा गुरुवार को अब चेतावनी बिंदु के नीचे बहने लगी हैं। गंगा व वरुणा तटवर्ती इलाकों में पानी सरकने लगा। जलस्तर हर घंटे आठ सेंटीमीटर की रफ्तार से कम हो रहा है। बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही प्रभावित क्षेत्रों की दुश्वारियां भी लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं, गंगा सहित वरुणा का पानी कम होने से तटवासियों में राहत की लहर है। सभी अब पानी नहीं बढ़ने की प्रार्थना कर रहे हैं। सामने घाट-रमना की कालोनियों व पुलकोहना आदि मोहल्ले जलाजल जरूर हैं लेकिन जहां चार-छह फीट तक पानी लगा था, आधा हो गया तो कहीं सड़कें जलमुक्त हो गईं।
पानी कम होने से बाढ़ का दायरा सिमट रहा जिससे सड़कों-गलियों में कीचड़ दिख रहा। गड्ढों में जहां कहीं पानी भरा है मच्छर भनभना रहे हैं और दुर्गंध अलग से आ रही है।ढाब इलाके में खेतों से पानी सरक रहा तो अब फसलें सड़ांध मारने लगी हैं, दूसरी ओर कटान भी तेज हो गई है। वरुणा तटवर्ती क्षेत्रों में भी पानी सरक रहा और कचड़ा छोड़ रहा। मणिकर्णिका हो या हरिश्चंद्र घाट, अभी भी शवों के दाह संस्कार की समस्या बनी हुई है। पानी तो घटने लगा है लेकिन दुश्वारियां अभी कम नहीं हुई हैं।
केंद्रीय जल आयोग के डेली फ्लड बुलेटिन के अनुसार सुबह आठ बजे गंगा का जलस्तर 69.90 मीटर रहा। बीती रात को ही गंगा का पानी खतरे के लाल निशान से 72 सेंटीमीटर नीचे आ गया था। पानी कम होने के साथ कई जगह के आवागमन शुरू हो गए है। बाढ़ पीड़ितों में सामाजसेवियों और प्रशासन की तरफ से खाद्य सामग्री, पेयजल एवं मेडिसीन उपलब्ध करवाया जा रहा है। नगवा प्राथमिक विद्यालय में बने राहत शिविर से खाद्य सामग्री का वितरण पुलिस की मौजूदगी में कराया गया ताकि राहत सामग्री लेने के लिए पीड़ितों में किसी तरह का विवाद नहीं हो। दूसरी ओर वरुणा पार के इलाकों में भी कई मोहल्लों से अब बाढ़ का पानी कम होने लगा है जिससे लोग राहत महसूस कर रहे हैं। हालांकि यहां रहने वाली हजारों आबादी को राहत शिविरों से अपने-अपने घरों में लौटने के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना पड़ सकता है। स्थानीय लोगों द्वारा घाट में डूबे स्थानों की पानी के बौछार से सफाई दिनभर की जाती रही। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बाढ़ के पानी से कुआं, हैंडपंप और सबमर्सिबल पंप का पानी प्रदूषित होने से लोगों को संक्रामक बीमारियों का डर सता रहा है।