देव दीपावली पर वाराणसी में सख्त ट्रैफिक प्लान, 5 नवंबर को घाटों की ओर वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध
                                                                                    वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी अपनी दिव्य पहचान के इस सबसे उजले पर्व देव दीपावली पर लाखों श्रद्धालुओं और सैलानियों का स्वागत करने को तैयार है। गंगा तटों पर दीपों की अनगिनत कतारें जगमगाने से पहले ही प्रशासन ने सुरक्षा और सुगमता को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए बड़ा यातायात प्रबंधन लागू किया है। पांच नवंबर को शहर में भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए पुलिस ने कई मार्गों पर वाहनों के लिए प्रतिबंध और डायवर्जन घोषित किया है।
शहर की सीमाओं पर बाहरी जिलों से आने वाले बड़े वाहनों का प्रवेश रोका जाएगा, ताकि अंदर भीड़ और जाम की स्थिति न बने। गाज़ीपुर, मऊ, आज़मगढ़, जौनपुर, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर और प्रयागराज दिशा की तरफ़ से आने-जाने वाले वाहन रिंग रोड, रखौना अंडरपास और नेशनल हाईवे के रास्ते से ही आगे बढ़ सकेंगे।
पुराने शहर के प्रमुख हिस्सों में दिनभर विशेष व्यवस्था रहेगी। मैदागिन से गोदौलिया के बीच यातायात पूरी तरह थमा रहेगा, वहीं गोदौलिया चौराहे से पांडेय हवेली और सोनारपुरा से अस्सी तक दोपहर 2 बजे से रात 8 बजे तक किसी वाहन को प्रवेश नहीं मिलेगा। नमो घाट व राजघाट की ओर दोपहर 1 बजे से आम वाहनों की आवाजाही बंद रहेगी। सामनेघाट पुल से लंका दिशा में भी यही समय लागू होगा, जबकि भारी वाहनों को सुबह 11 बजे से ही रोक दिया जाएगा।
घाटों से जुड़ने वाले रास्तों पर सबसे कड़ी निगरानी रहेगी। सूजाबाद, भदऊ चुंगी, लाट भैरव, लकड़मंडी, मैदागिन, गोदौलिया, लक्सा, सोनारपुरा, नगवा और सामने घाट जैसे व्यस्त इलाकों से घाटों की ओर किसी भी वाहन को न जाने देने का आदेश है। उद्देश्य साफ है-श्रद्धालु पैदल घाटों तक आसानी से पहुंच सकें और दिव्यता भरी शाम में किसी तरह की बाधा न आए।
भीड़ को देखते हुए पार्किंग व्यवस्था भी मजबूत की गई है। मैदागिन क्षेत्र से लेकर अस्सी और नमो घाट तक कुल 30 से अधिक अस्थायी पार्किंग स्थल बनाए गए हैं, जिनमें स्कूल, मैदान और प्रमुख संस्थानों के प्रांगण शामिल हैं। इससे श्रद्धालुओं के वाहनों को सुव्यवस्थित ढंग से खड़ा कराया जा सकेगा।
इसी क्रम में ऑटो और ई-रिक्शा के संचालन हेतु छह वैकल्पिक रूट निर्धारित किए गए हैं। भीड़भाड़ वाले केंद्र-मैदागिन, गोदौलिया, अस्सी, राजघाट और विशेश्वरगंज-में इन्हें प्रवेश नहीं मिलेगा।
काशी की देव दीपावली सिर्फ दीपों का पर्व नहीं, बल्कि अध्यात्म, आस्था और अद्वितीय संस्कृति का उत्सव है। प्रशासन का यह प्रयास है कि हर आगंतुक इस दिव्यता का अनुभव बिना किसी असुविधा के कर सके। ऐसे में नागरिकों से भी अपेक्षा है कि ट्रैफिक नियमों का पालन कर इस पावन आयोजन को और भव्य तथा अनुशासित बनाने में सहयोग दें। गंगा के घाट तेजस्वी प्रकाश से दमकेंगे, बस थोड़ी सजगता और अनुशासन से पूरा शहर उत्सव की लय में बह सकेगा।
                





                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                                                                                    
                
                
                
                
                
                
                

                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    
                    


