अंजनि पुत्र के चरणों में कलाकारों ने अर्पित की स्वरांजलि
वाराणसी (रणभेरी)। श्री संकट मोचन संगीत समारोह की तीसरी निशा में सोमवार को ख्यातिलब्ध कलाकारों ने अंजनी पुत्र के चरणों में अपनी भावांजलि अर्पित कर उनसे यश कीर्ति की कामना की। तीसरी निशा का शुभारंभ कोलकाता से पधारी मधुमिता राव की कथक नृत्य से हुआ। उन्होंने कथक नृत्य के माध्यम से हनुमत चरणों में अपनी भावांजलि अर्पित की। उनके साथ तबले पर ख्यातिलब्ध तबला वादक उस्ताद अकरम खान सुंदर संगत कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इसके पश्चात मंच पर आए बनारस घराने के पंडित वीरेंद्र नाथ मिश्रा ने सितार के तारों में झंकार भरी, तबला वादन कर रहे उनके पुत्र अभिषेक मिश्रा के साथ सात मंत्र संगीत रचना की विशेष प्रस्तुति की। उनके द्वारा प्रस्तुत सितार की झंकार ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके पश्चात तीसरी निशा की तीसरी प्रस्तुति ख्यातिलब्ध शास्त्रीयगायक स्वर्गीय पंडित जसराज जी शिष्य रतन मोहन शर्मा ने अपनी गायकी से अपने गुरु की याद दिला दी। उन्होंने पंडित जसराज के प्रिय भजन हनुमान लाला मेरे प्यारे लाल की प्रस्तुति कर मंदिर को पूरी तरह से राममय बना दिया। उन्होंने अपने गायन से श्रोताओं को खूब आनंदित किया उनके साथ तबले पर शुभ महाराज एवं हारमोनियम पर मोहित साहनी ने सुंदर संगत की। इसके बाद मंच पर आए प्रसिद्ध संतूर वादक भजन सपोरी ने संतूर की ऐसी तरंग बिखरी कि श्रोता वह-वह कर उठे। उनके साथ तबले पर उस्ताद अकरम खान ने तबले की ऐसी टंकार की, की पूरा मंदिर परिसर गूँज उठा। भजन सपोरी ने सूफिया घराने के गायन तंत्र कारों का लाजवाब वादन, यम, गमक झाला का विविध किसमे सुना कर दर्शकों को मध्य मुक्त कर दिया। इसके पश्चात मंच पर आई पद्मश्री मालिन अवस्थी ने राग वृंदावनी सारंग में सुर लगाया बोल थे-' शेषफन डगमग लंका हलचल भयो से' भक्ति रस की गंगा बहाई। रावण और मंदोदरी संवाद सुनाया। झप ताल में जीत ना सकोगे राम संग जंग जोर सुनाकर भाव विभोर कर दिया। मिश्र खमाज में ठुमरी 'जाओ वही तुम श्याम जहां सारी रैन रहे' के साथ ही दादर अभी तो गईला सैया की ओट से सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया उन्होंने चैती से अपने कार्यक्रम का समापन किया। इसके पश्चात मंच पर आई मुंबई निवासी सुश्री संगीता शंकर ने अपने वायलिन से श्रोताओं को खूब रससिक्त किया । उन्होंने हनुमान जी के चरणों में सुंदर धुन सुनाकर भक्ति की रसधार बहाई। इसके पश्चात वाराणसी घराने के डॉक्टर के शशि कुमार और दिल्ली से आए पंडित रितेश रजनीश मिश्र ने अपनी गायकी से हनुमत चरणों में अपनी भावांजलि अर्पित की।