सनातनी यात्रा : फ्रांस की वादियों से काशी के अध्यात्म तक का सफर

सनातनी यात्रा : फ्रांस की वादियों से काशी के अध्यात्म तक का सफर

वाराणसी (रणभेरी सं.)। फ्रांस, जहां कभी रोमांस और कला की गलियां बेरोकटोक गूंजती थीं, आज सांप्रदायिक अशांति की आग में जल रहा है। वहां का माहौल इतना तनावपूर्ण हो गया है कि हर कदम पर डर और उदासी का साया मंडराता है। कट्टरपंथ के बढ़ते प्रभाव ने वहां के हर नागरिक के दिल में असुरक्षा की ठंडी सिहरन भर दी है। इसी अशांति से तंग आकर एक फ्रांसीसी युवती, लीया, ने शांति की तलाश में भारत का रुख किया और पहुंच गईं विश्वनाथ की नगरी, काशी ! काशी में डेढ़ महीने बिताने के बाद लीया का जीवन मानो महादेव की कृपा से रंग गया है। गंगा के किनारे, जहां लहरें और घंटियों की आवाज एक लय में गूंजती हैं, वहां लीया का दिल सुकून की सैर कर रहा है। उनके शब्दों में, काशी जैसी शांत और सुरक्षित जगह पूरे विश्व में कहीं नहीं। महादेव की भक्ति में डूबी लीया अब पूरी तरह सनातनी रंग में रंग चुकी हैं। गेरुआ वस्त्र, गले में रुद्राक्ष की माला, माथे पर तिलक और होंठों पर ॐ नम: शिवाय का जाप—लीया का यह रूप किसी तपस्विनी से कम नहीं।

दिनभर वह गंगा घाट पर बैठकर महादेव के विविध रूपों को अपनी कूची से कैनवास पर उतारती हैं। हर रंग, हर रेखा में उनकी भक्ति झलकती है, मानो वह हर पेंटिंग में शिव की शक्ति को साकार कर रही हों। इस रचनात्मक साधना से उनके मन को गहरी शांति मिलती है, जैसे आत्मा को कोई खोया हुआ ठिकाना मिल गया हो।

लीया पेशे से शेफ हैं और फ्रांस में उनकी ख्याति किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं थी। लेकिन फ्रांस की बिगड़ती स्थिति ने उन्हें बेचैन कर दिया। वह बताती हैं कि वहां कट्टरपंथ ने हर किसी के जीवन को अनिश्चितता के भंवर में धकेल दिया है। ऐसे में, अध्ययन के दौरान उन्हें काशी के बारे में पता चला, वह पवित्र नगरी, जहां धर्म और अध्यात्म की जड़ें गहरी हैं, जहां हर सांस में शांति और हर कदम में भक्ति बसती है। बस, फिर क्या था! सनातन धर्म के प्रति गहरे आकर्षण ने उन्हें काशी खींच लिया।

यहां आकर लीया को न सिर्फ मानसिक शांति मिली, बल्कि एक ऐसी सुखद अनुभूति हुई, जो उनके लिए अनमोल है। वह कहती हैं, "काशी ने मुझे मेरी आत्मा से जोड़ दिया। अब मैं यहीं रहकर, महादेव की भक्ति में डूबकर, उनकी पेंटिंग्स के जरिए उनकी आराधना करना चाहती हूं...आजीवन!  लीया की यह कहानी सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा की खोज, भक्ति की मिसाल और शांति की जीत है। काशी की गलियों में, गंगा की लहरों के बीच, एक फ्रांसीसी युवती ने न सिर्फ शांति पाई, बल्कि सनातन की गोद में एक नया घर बना लिया।