काव्य-रचना
तुम्ही हो
ज़िंदगी का हर श्रृंगार तुम्ही हो,
ज़िंदगी में आई बहार तुम्ही हो।
खुशियों का संसार तुम्ही हो,
दिल की चाहत प्यार तुम्ही हो।
मेरे चेहरे का हर नूर तुम्ही हो,
मेरी आंखों का सुरूर तुम्ही हो।
मस्त बहार और जिया तुम्ही हो,
खुले गगन सी प्रिया तुम्ही हो।
हर मुश्किल हालात में साथ तुम्ही हो,
अनमोल उपहार सौगात तुम्ही हो।
मन उपवन के महकने का एहसास तुम्ही हो,
दिल की धड़कन के पास तुम्ही हो।
अतुल पाठक