काव्य-रचना

काव्य-रचना

   एक तेरा ही तो है अख्तियार मुझपर  

एक तेरा ही तो है अख्तियार मुझपर
अखिर तुझे ही तो एक आता है ऐतबार मुझपर

तेरी साँसों की रवानी की कहानी इश्क़ है
है खुदा का करम बेहिसाब मुझपर

वो भी तो समझे कभी क्या होते हैं आंसू
क्या गुजरती है बार बार मुझपर

एक कहानी होती है हर एक जिन्दगी की 
खुदा ने लिख दी है शायद पूरी एक किताब मुझपर

तू ना डाल मुझपर ऐसे डोरे ऐ नये आशिक
हैं सारे ये पैंतरे अब बेकार मुझपर 

होने लगी थी मोहोब्बत एक तितली को गुल से
पतझड़ हो गयी है 'इशिका' फिर मेहरबां मुझपर

 

शौर्या सिंह 'इशिका'