वाराणसी में सटोरियों पर पुलिस हुई मेहरबान
वाराणसी (रणभेरी सं.) । आज अहमदाबाद के ऐतिहासिक स्टेडियम में ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच वर्ल्ड कप का फाइनल मैच होगा । करीब 1 लाख दर्शकों के सामने टीम इंडिया वर्ल्ड कप के लिए कंगारूओं से भिड़ेगी लेकिन इस मुकाबले को लेकर सट्टा बाजार भी गर्म हो चुका है । बुकी से लेकर क्रिकेट से जुड़े सटोरियों ने वर्ल्ड कप फाइनल के लिए रेट भी खोल दिया है । अब तक प्रदर्शन के आधार पर टीम इंडिया सट्टेबाजों की फेवरेट है तो ऑस्ट्रेलिया भी नॉकआउट दौर के बाद अपने पूरे फॉर्म में आ गई है । ऐसे में सटोरिये भी मोटी कमाई करने की फिराक में हैं।
आज फाइनल के पहले जहाँ देश भर में सटोरी एक्टिव हो चुके हैं वहीं वाराणसी में सटोरियों पर पुलिस मेहरबान हुई बैठी है। एक तरफ सटोरिये वर्ल्ड कप के इस फाइनल मुकाबले में बाजार में दांव लगवा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सट्टेबाजों को पकड़ने और अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के बजाय पुलिस हाथ पर हाथ रख कर बैठी है।
हालांकि सट्टेबाजों पर लगाम कसना पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। लेकिन वाराणसी पुलिस इसके लिए तैयार भी नहीं है। सूत्रों की मानें तो वर्ल्ड कप फाइनल के पहले सटोरियों को पकड़ने के लिए वाराणसी पुलिस ने पूरे शहर में ना ही कोई प्लान बनाया और न ही अब तक पुलिस की गिरफ्त में वाराणसी शहर का कोई भी सटोरिया आया। सूत्र तो यहाँ तक बताते हैं कि पुलिस ने अपने मुखबिर तंत्र को एक्टिव तो जरूर किया लेकिन मामला सेटिंग-गेटिंग के साथ समाप्त हो गया।
छत्तीसगढ़ में महादेव ऐप लोगों की जुबान पर छाया रहा। इस ऐप के माध्यम से करोड़ों के ऑनलाइन बेटिंग का खुलासा ईडी ने किया। वहीं अब वर्ल्ड कप फाइनल के पहले एक बार फिर देश भर में सट्टेबाजों के सक्रिय होने की खबर हर तरफ है। खास तौर पर तब जब की फाइनल में टीम इंडिया पूरे फॉर्म के साथ उतर रही है। सूत्रों की माने तो एक-एक ओवर पर बड़ी रकम दाव पर लगती है। प्रत्येक गेंद पर सट्टेबाजों की नजर रहती है। वहीं पुलिस सट्टे के किसी भी तरह के कारोबार को रोकने में पूरे तरीके से विफल साबित हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के बावजूद वाराणसी में सट्टे का कारोबार अपने चरम पर है। सबसे बड़ी बात, जो लोगों के गले नहीं उतरती वह यह है कि प्रधानमंत्री के जिस संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चप्पे-चप्पे पर तमाम खुफिया तंत्रों की नजर रहती है ऐसे पीएम के वाराणसी में सट्टे का काला कारोबार आखिर कैसे और किसकी सहमति से फल-फूल रहा है। पुलिस, प्रशासन एवं तमाम खुफिया विभाग के लोग आखिर विदेशों में बैठे बड़े सट्टा माफियाओं के साथ गहरा नाता रखने वाले वाराणसी के सटोरियों पर क्यों मेहरबान हैं।
रणभेरी को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी में सट्टा का गोरखधंधा करने वाले कुछ सटोरियों के नाम हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं जो क़ानून को अपनी जूती के नोक पर रखकर न केवल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि बदनाम कर रहे हैं बल्कि संगठित अपराध की जड़ों को तेजी के साथ बेख़ौफ़ होकर मजबूत करने का दुस्साहस कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अगर इन सटोरियों के तथा इनके परिवार के सभी सदस्यों के मोबाईल नंबर एवं सभी बैंक खातों की जांच हो जाए तो वह सच सामने आ जायेगा जिसका दावा रणभेरी निरंतर करती चली आ रही है ।
सटोरियों के वो नाम जो कर रहे घरों को बर्बाद
पंकज आर्या (महमूरगंज, थाना-भेलूपुर ), सौरभ केजरीवाल (गुरुधाम,थाना-भेलूपुर), बब्लू अग्रवाल (भदैनी,थाना-भेलूपुर), अखिलेश टंडन उर्फ़ जैकी (नाटी ईमली, थाना-कोतवाली), राजू यादव उर्फ़ डाक्टर (मच्छोदारी, थाना-कोतवाली), महेंद्र यादव (सुन्दरपुर,थाना-लंका), गोविन्द पटेल (सुन्दरपुर,थाना-लंका), रोहित श्रीवास्तव (लंका, थाना-लंका), संदीप साहनी (शिवाला, थाना-भेलूपुर), अजय गुप्ता (नारिया, थाना-लंका), बाबू भाई (शिवाला, थाना-भेलूपुर),अज्ज़ा (थाना-जैतपुरा), परवेज (थाना-जैतपुरा), चन्दन चौरसिया उर्फ़ चानू (कतुआपुरा, थाना-कोतवाली), दीपक गुप्ता (खोजवां, थाना-भेलूपुर), विक्की खान (सुन्दरपुर,थाना-लंका), बाली यादव (अस्सी,थाना-लंका), गोरे (थाना-लंका), बड़े (भेलूपुर, थाना-भेलूपुर) ।