काव्य-रचना

काव्य-रचना

     शौर्य -साक्ष्य        

हाँ ठीक कहा कि,  देह वज्र
बनता है, पर मिट जाएगा
लेकिन वीरों का शौर्य-साक्ष्य
फिर कभी नहीं मिट पाएगा

मृत्यु रुपी यह दिवस ' सत्य '
सबके जीवन में आएगा
पर अमर शौर्य किंचित सब
वीरों का हीं लिखा जाएगा

हैं दूर खड़े….हैं सजल नेत्र…
कुछ भी बोला ना जाएगा
बस मृत्यु मिले वीरों जैसी
हर जनम में माँगा जाएगा

        


           गुप्तनाथ 'गुप्त'