काव्य-रचना

काव्य-रचना

  रैहनुमा  ऐहलेवतन  

बे सरो  सामां  सफर निकला  है वो
डर नहीं होकर निडर निकला है वो
खत्म करने को जबर निकला है वो
प्यार का  लेकर हुनर निकला है वो

बागबाँ  सैहने  चमन  का  है  वही
पासबाँ  गंगो   जमन  का  है  वही
नक़्शेपा  नेहरू  मोहन  का है वही
रैहनुमा   ऐहलेवतन  का   है  वही

आओ  मिलकर साथ दें साथी बने
वो  दिया  है  और  हम  बाती  बनें
थी  जो  हाथों  में  वही  लाठी बने
अलगरज़  के  हम  सभी गांधी बने

अज़ नतीजा ए फिक्र
मतीन कैफ़ी