काव्य रचना
हिम्मत हूं मैं दूसरों की
थक से गए हैं जिंदगी के सफर में,
कि अब कोई हौसला काम नहीं आता ।
जो खुद दूसरों की हिम्मत है,
उसे कोई हिम्मत क्यों नहीं दिलाता ।
जिसके चेहरे से हंसी कभी कम नहीं होती,
उसके चेहरे को कोई क्यों नहीं पढ़ पाता ।
मुस्कुराती आंखों में ना जाने दर्द कितने हैं,
मुस्कुराते होठों पर ना जाने कितने पहरे हैं ।
कभी मिलो हमसे तो बताए कि इन खूबसूरत हंसी के पीछे ,
ना जाने कितने गमों के सिलवते हैं ।
आयुषी तिवारी,.....