पीएम मोदी ने यूपी के 21 उत्पादों को दिया GI टैग, बनारसी तबला और भरवा मिर्च भी शामिल

पीएम मोदी ने यूपी के 21 उत्पादों को दिया GI टैग, बनारसी तबला और भरवा मिर्च भी शामिल

वाराणसी (रणभेरी):  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने वाराणसी दौरे के दौरान प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग का प्रमाण पत्र प्रदान किया। यूपी की सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिली है। इस कार्यक्रम ने न सिर्फ प्रदेश की विविधताओं को एक नई उड़ान दी, बल्कि योगी सरकार की ‘एक जिला, एक उत्पाद’ नीति की सफलता को भी रेखांकित किया। 

पीएम  ने जीआई उत्पाद बनारसी लाल पेड़ा, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, शहनाई, तिरंगी बर्फी, ठंडाई समेत उत्तर प्रदेश के 21 उत्पादों को जीआई टैग का प्रमाणपत्र दिया। बनारसी तबला और भरवा मिर्च को भी जीआई टैग में शामिल किया गया। इस दौरान पीएम ने तीन उत्पादकों से उनकी विशेषता व महत्व के बारे में जानकारी ली। जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया कि 77 जीआई उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले स्थान पर है। इसमें अकेले 32 जीआई के साथ काशी क्षेत्र दुनिया के जीआई हब में शुमार है। 20 लाख लोगों का जुड़ाव और 25500 करोड़ का वार्षिक कारोबार अकेले काशी क्षेत्र से होता है।

जीआई उत्पादों की सूची में बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी और टेराकोटा, मथुरा का सांझी क्राफ्ट, बुंदेलखंड का काठिया गेहूं और पीलीभीत की बांसुरी भी शामिल हैं। ये सभी उत्पाद अपने-अपने क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान हैं और अब जीआई टैग प्रमाणपत्र मिलने से इन्हें कानूनी संरक्षण और ब्रांड वैल्यू दोनों मिलेंगे। चित्रकूट का वुड क्राफ्ट, आगरा का स्टोन इनले वर्क और जौनपुर की इमरती को भी जीआई टैग प्रमाणपत्र मिला है। डॉ. रजनीकांत ने बताया कि इससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में छिपे पारंपरिक शिल्प और स्वाद को अब वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

जीआई टैग न केवल उत्पाद की मौलिकता को दर्शाता है, बल्कि इसके जरिये किसानों और कारीगरों को बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होते हैं। योगी सरकार के सतत प्रयासों और ओडीओपी नीति के चलते उत्तर प्रदेश जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।