BHU प्रशासन के खिलाफ मुखर छात्रों ने मनाया काला दिवस
वाराणसी (रणभेरी): काशी हिंदू विश्वविद्यालय में आज काला दिवस मनाने की शुरुआत हो गई है। निलंबित शोध छात्रों के समर्थन और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ विरोध में 10 हजार से ज्यादा पर्चे बंटवाने के बाद अब कैंपस में काली पट्टी बांटी और बांह में बांधी जा रही है। छात्रों ने काली पट्टी बांधकर परिसर के विभागों, संकायों, संस्थानों में पहुंचकर विश्वविद्यालय प्रशासन के विरोध जताया। सभी ने छात्रों के निलंबन समेत अन्य कार्रवाई को गलत बताया। विश्वविद्यालय प्रशासन पर लोकतांत्रिक मूल्यों के दमन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई वापस लेने और छात्रों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाने की मांग की।
आज सुबह सिंह द्वार, साइबर लाइब्रेरी, भूगोल विभाग और विश्वनाथ मंदिर में काली पट्टी बांधकर छात्रों ने काला दिवस मनाया। इसके अलावा पूरे कैंपस में अभी छात्रों का कुछ गुट निकलकर विरोध मार्च कर सकता है। छात्रों ने कहा कि यह एक दिन का काला दिवस मनाया जा रहा है। यदि मांगे नहीं मानी गई तो इसके बाद बड़े आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी।
इससे पहले बीएचयू में छात्रों के निलंबन, फीस वृद्धि समेत अन्य मुद्दों को लेकर बीएचयू बचाओ संघर्ष समिति की तरफ से विभागों और संकायों में पर्चे बांटे गए थे। समिति की तरफ से बुधवार को काला दिवस मनाने की जानकारी दी गई थी। पर्चे में बीएचयू के हालिया मुद्दों से संबंधित कई सवाल प्रशासन से पूछे गए हैं। छात्रों ने कहा कि बीएचयू प्रशासन की ओर से जब तक निलंबन वापस लेने के साथ ही अन्य मांगें नहीं मान ली जाती है तब तक विरोध जारी रहेगा। यदि मांगे नहीं मानी गई तो इसके बाद बड़े आंदोलन की रूपरेखा तय की जाएगी। छात्रों पर यह कार्रवाई 21 जुलाई को अस्पताल परिसर में चलने वाले उमंग फार्मेसी से जुड़ी शिकायत के लिए ज्ञापन देने जाने के दौरान वीसी आफिस के चैनल गेट पर प्रदर्शन करने के मामले में हुई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 12 दिसंबर को निलंबन आदेश भी जारी किया गया है। इसमें मृत्युंजय तिवारी के अलावा पालि और बौद्ध दर्शन में शोध छात्र वैभव कुमार तिवारी, अर्थशास्त्र विभाग के छात्र आशीर्वाद दूबे का नाम शामिल है।