वक्ता से अधिवक्ता बने अपने अध्यक्ष जी

वाराणसी (रणभेरी): इवक्ता वह जो एक बार मंच पर चढ़ जाए तो उतरने का नाम न लें। बात कोई निकल गई तो जबतक दही का मठ्ठा न हो जाए तबतक वाणी को विराम न दें। इससे भी बड़ा भकाऊं होता है, अधिवक्ता। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि बहुते बहुत बोलता है शर्बत में नमक घोलता है, अधिवक्ता नाम का यह प्राणी। इस जीव की चरण पादुका ही उसका परमानेंट मंच है। एक अपना घर छोड़कर यह महामानव दुनिया भर की सूचनाओं से टंच है। बनारस के सबसे लोकप्रिय नेता यानी अजय राय जी कुशल वक्ता तो पहले से ही थे।
जबसे पंजा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं, ऑटोमेटिक्ली वक्ता से अधिवक्ता बन गए हैं। क्या मजाल जो सीएम योगी जी डकार ले लें और अध्यक्ष जी यह भाप न पावे कि जोगी बाबा की रसोई में आज क्या बना था। वे अक्षरशः बता देंगे कि आज मुख्यमंत्री जी की भोजन थाली में लमका भंटा का चोखा परोसा गया था या गोलका भंटा का। चोखे में पड़ा टमाटर पोला था या भुने गए भंटे में लहसुन था या अठगोरवा ढोला था। ऊपर से भले ही नॉर्मल बनने की कोशिश करें पर सच यह है कि अधिवक्ता अध्यक्ष जी के सवालों से सत्ता पक्ष बड़ा परेशान है। उसे हमेशा यह डर बना रहता है कि पता नहीं कब अध्यक्ष जी अंदर का भेद खोल दें कि उन्होंने अंतर्वस्त्र धारण किया है या नहीं। अगर व्रत रखा है तो पारन किया है या नहीं।