न सील, न ढील...वीडीए करता है डायरेक्ट डील

नगवां वार्ड में गंगा से सटे सुखानंद बाबा आश्रम के पास धड़ल्ले से जारी है अवैध निर्माण
वीडीए के अधिकारियों की मन मानी से पीएम के संसदीय क्षेत्र में अवैध निर्माणों की बाढ़
भेलूपुर जोन में अवैध निर्माणों की लगी है होड़, वीडीए के कारनामों से शोर ही शोर
वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। वाराणसी, जिसे काशी भी कहा जाता है, भारत का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की गंगा, घाट और मंदिर स्थानीय जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। हालांकि, इस प्राचीन शहर में विकास के नाम पर एक गंभीर समस्या उभर रही है, जो है भ्रष्टाचार। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) का उदाहरण इस भ्रष्टाचार का स्पष्ट प्रमाण है। वीडीए की नीतियों ने बड़े कॉपोर्रेट्स और बिल्डर्स को फायदा पहुंचाने के लिए कई नियमों और प्रक्रियाओं में लचीलापन प्रदान किया है, जिससे गरीब जनता की आवाज दब रही है। जहां एक ओर बड़े बिल्डर्स अपनी शक्ति और पैसे के बल पर नियमों का उल्लंघन करते हुए विकास कार्यों को साधते हैं, वहीं गरीबों के लिए जटिलताएं और प्रशासनिक बाधाएं खड़ी की जाती हैं। इसके साथ ही कई बार स्थानीय अधिकारियों से रिश्वत लेकर इन विकास परियोजनाओं को आसान बना लिया जाता है, जिससे भ्रष्टाचार का एक जाल फैलता है। इस स्थिति ने वाराणसी के वास्तविक विकास की परिभाषा को प्रभावित किया है। जब तक इस भ्रष्टाचार को नियंत्रित नहीं किया जाएगा और आम जनता के हितों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक वाराणसी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्वरूप खतरे में पड़ सकता है। ताजा मामला भेलूपुर जोन के नगवां इलाके में सुखानंद बाबा आश्रम के पास का है जहां बीते कईं महीनों से गंगा से महज कुछ ही दूरी पर खुलेआम बहुमंजिला मकान का निर्माण जारी है। हाइकोर्ट के गंगा से दो सौ मीटर के दायरों में अवैध निर्माण नहीं होने देने के आदेश को भी भवन निर्माणकर्ता और वीडीए के अधिकारी ताख पर रखकर अवैध निर्माण करा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इस क्षेत्र में कई ऐसे भवन है जिनपर रोक लगा पाना विभाग के बस की भी बात नहीं है। क्योंकि इनके रसूख के आगे विभाग भी बौना साबित हो जाता है। वहीं विभाग जिन पर वह कार्रवाई कर सकता है उनपर भी कोई एक्शन नहीं ले रहा है। शहर में जहां कहीं भी अवैध निर्माण होता है, या फिर प्रतिबंधित क्षेत्र में निर्माण होता है तो उस पर रोक लगाने की जिम्मेदारी वाराणसी विकास प्राधिकरण की है। लेकिन भेलूपुर जोन का ऐसा एरिया जो वीडीए के जोनल आफिस से चंद कदमों की दूरी पर है वहां भी उनकी नजरें नहीं पहुंचती है।
सील- डील के खेल में सीएम की आंख में झोंकते धूल
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भ्रष्टतम विभाग वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का। वीडीए के लोभी अधिकारियों के निजी स्वार्थ की बदौलत शहर में अवैध निमार्णों की बाढ़ आ गयी है। शहर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां अवैध मकान न बने हो। ये भ्रष्ट अधिकारी सील और डील का खेल खेलकर सीएम योगी आदित्यनाथ के आंख में भी निरंतर धूल झोंकते हैं। ये लोभी अधिकारी चंद रुपए की लालच में अपना ईमान धन्नासेठों और रसूखदारों के चरणों में गिरवी रख देते हैं। अवैध निर्माण में सबसे बड़ा हाथ वीडीए के जोनल अधिकारी और जेई का होता है। वीडीए के जोनल अधिकारी इतने धूर्त है की किसी भी अवैध निर्माण की भनक इनको सबसे पहले लग जाती है। सूत्रों बताते हैं कि शहर के चप्पे-चप्पे पर होने वाले वाले अवैध निर्माण का पता लगाने के लिए बाकायदा विभाग के बड़े अफसरों ने अपना-अपना आदमी सेट कर रखा है, जो घूम-घूम कर अवैध निर्माण की रेकी करते है और फिर ऐसे अवैध निर्माण की सूचना वीडीए के बड़े अधिकारी तक पहुंचाते हैं। जिसके बाद जोनल अधिकारी बकायदा लाव-लश्कर के साथ अवैध निर्माण तक पहुंचते है। यहीं से डील डॉल देने के बाद शुरू होता है वीडीए अफसरों का असली खेल। ये अवैध निर्माण को इसलिए सील नहीं करते की यह वास्तव में अवैध हैं बल्कि सील के पीछे इनका मकसद भारी भरकम डील का होता है
मध्यस्थ की भूमिका निभाते है जोनल अधिकारी और जेई
अवैध निर्माण में सबसे बड़ा हाथ वीडीए के जोनल अधिकारी और जेई का होता है। वीडीए के जोनल अधिकारी इतने धूर्त है की किसी भी अवैध निर्माण की भनक इनको सबसे पहले लग जाती है। सूत्रों बताते हैं कि शहर के चप्पे-चप्पे पर होने वाले वाले अवैध निर्माण का पता लगाने के लिए बाकायदा विभाग के बड़े अफसरों ने अपना-अपना आदमी सेट कर रखा है, जो घूम-घूम कर अवैध निर्माण की रेकी करते है और फिर ऐसे अवैध निर्माण की सूचना वीडीए के बड़े अधिकारी तक पहुंचाते हैं।
जिसके बाद जोनल अधिकारी बकायदा लाव-लश्कर के साथ अवैध निर्माण तक पहुंचते है। यहीं से डील डॉल देने के बाद शुरू होता है वीडीए अफसरों का असली खेल। ये अवैध निर्माण को इसलिए सील नहीं करते की यह वास्तव में अवैध हैं बल्कि सील के पीछे इनका मकसद भारी भरकम डील का होता है।
जेई साहब को नहीं पता नगवां वार्ड कहां है !
इसे विडंबना कहिए जा फिर जान बूझकर अंजान बनना, लेकिन यह सुनकर आपको ताजुब होगी कि जिस वीडीए जेई के ऊपर अवैध निर्माण रोकने का जिम्मा है उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके जोन में किस वार्ड का क्षेत्र कहां तक है ! जब नगवां वार्ड के गंगा से सटे सुखानंद बाबा आश्रम के पास हो रहे अवैध निर्माण के बारे पूछा गया तो जेई साहब अवैध निर्माण को तो छोड़िए, उस क्षेत्र से ही अंजान बने रहे। पहले तो उन्होंने नगवां वार्ड स्थित गंगोत्री विहार कॉलोनी को भेलूपुर वार्ड बताते हुए अंजान बने रहे फिर कुछ देर बाद जब उनकी यादाश्त वापस आई तो यह माना कि जिस जगह पर अवैध निर्माण होने की बात बताई जा रही वह नगवां वार्ड में ही आता है। फिर उन्होंने मौके पर अपने लोगों को भेजने की बात कही। यह विडंबना है कि जिस सुखानंद बाबा आश्रम के पास गंगा किनारे अवैध निर्माण हो रहा वहां से कुछ ही दूरी पर वीडीए का जोनल आॅफिस मौजूद है। ऐसे में यह सवाल उठता है क्या जेई साहब वाकई अपने क्षेत्र से अंजान है या फिर जान बूझकर अंजान बने रहे ।
वीडीए के अधिकारी को कीजिए खुश, फिर अवैध निर्माण कराने में नहीं पहुंचेगा कोई दु:ख
वीडीए के अफसरान शहर के कोने-कोने में उन स्थानों तक पहुंच जाते है जहां किसी भी तरह का निर्माण होता है। अगर आपने वीडीए के अधिकारियों को वहां से खुश कर वापस भेज दिया तो उसके बाद आपके अवैध निर्माण पर भी कार्रवाई नहीं होगी। सूत्रों ने बताया कि गंगा किनारे जो अवैध निर्माण हो रहा वहां होटल बनाने की तैयारी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि एक गरीब के कुनबों पर बुलडोजर चलाने वाली वीडीए आखिर धन्नासेठों के आगे अंधी और बेबस क्यों हो जाती है! हाइकोर्ट ने यह आदेश जारी किया है कि गंगा के 200 मीटर के दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा। अगर होता है तो उसे अवैध करारकर ध्वस्त किया जाएगा। लेकिन प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों की मेहरबानी से एचएफएल क्षेत्र में भी जमकर अवैध निर्माण हुआ। आज भी एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माण जारी है। धन्नासेठों ने वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों के ईमान को खरीदकर हाई कोर्ट के आदेशों को भी ताख पर रख दिया है। सैकड़ों अवैध निर्माण एचएफएल क्षेत्र में हो गए और वीडीए के अधिकारी आंख बंद कर इसीलिए सोते रहे की दलालों और धनबलियों ने वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों इनके आगे अपना जमीर गिरवी रख दिया।
सब जानते हुए भी अंजान बने रहते है वीडीए के जिम्मेदार
शहर में हो रहे सभी अवैध निर्माण की निगरानी का जिम्मा वीडीए का होता है। वीडीए वीसी के आदेश पर ही बुलडोजर की कार्रवाई होती है। यह पीएम के संसदीय क्षेत्र में ऐसा प्रतीत होता की वीडीए वीसी और क्षेत्रीय जोनल को भी सिर्फ गरीबों का अवैध निर्माण दिखता है। जब बात धन्नासेठों की आती है तो वीडीए वीसी और उनके क्षेत्रीय जोनल के बुलडोजर को जंग लग जाती है। ऐसा नहीं की शहर में हो रहे अवैध निर्माण की जानकारी वीडीए वीसी को न हो, लेकिन रसूखदारों के आगे वीडीए वीसी में बेबस और बेचारा बन जाते है।