करवा चौथ कल, सुहागिनों के लिए सजा बाजार
वाराणसी (रणभेरी सं.)। पति की दीघार्यु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सौभाग्यवती स्त्रियां कार्तिक कृष्ण चतुर्थी रविवार 20 अक्टूबर को करक चतुर्थी यानी करवाचौथ का व्रत करेंगी। ये विवाहित महिलाओं के लिए महाव्रत की तरह है। माना जाता है कि इस व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है यानी व्रत करने वाली महिला के पति को लंबी उम्र, सौभाग्य, अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। करवा चौथ पर गणेश जी के साथ ही चौथ माता और चंद्र देव की पूजा की जाती है। रात में चंद्र उदय के बाद चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है। चंद्र दर्शन और पूजन के बाद ही महिलाएं खाना-पानी ग्रहण करती हैं। करवाचौथ का त्योहार महिलाओं के सोलह श्रृंगार के बिना बिल्कुल अधूरा है। महिलाएं इस खास दिन पर खूब सजती हैं और इसके लिए जो सबसे जरूरी है वह है ज्वेलरी, चूड़ी। इसकी खरीदारी महिलाओं ने कई दिन पहले से शुरू कर दी है। ज्वेलरी और पूजन सामग्री की खरीद के लिए महिलाएं जोर-शोर से शॉपिंग कर रही हैं। इस बार ज्वेलरी में कई ट्रेंडी लाइटवेट ज्वेलरी महिलाओं की पहली पसंद बनी हुई हैं। जोकि लाइटवेट होने के साथ-साथ देखने में बेहद खूबसूरत भी है। महिलाएं चूड़ी से लेकर पायल तक हर चीज ट्रेंड के हिसाब से खरीद रही हैं।
ये हैं ट्रेंडी चूडियां
करवाचौथ में अगर हाथों में चूडियां नहीं खनकेंगी तो आपका श्रृंगार अधूरा लगेगा। वैसे तो इस अवसर पर कांच और लाख की चूडियां का बैंगल सेट विशेष तौर पर पसंद किया जाता है। लेकिन, अलग लुक के लिए इस बार कांच की चूडि?ों को मिक्स मैच करके महिलाएं पहनना पसंद कर रही हंै। जैसे- कांच की चूडियां के बीच या साइड में लाख की चूडियांं के साथ कॉम्बिनेशन करके या फिर मैटल की चूडियां के साथ या बीड्स वाली चूडियां के साथ या कंगन के साथ सेट बनाकर पहन रही हैं। अगर आप इस मौके पर कुछ अलग चूडियां पहनना चाहती हैं तो डिफरेंट डिजाइन के सिंगल कड़े, मल्टी शेड्स स्लिम बैंगल्स, कलरफुल स्टोन विद मोती बैंगल्स, कटवर्क बैंगल्स, ब्रेसलेट स्टाइल की चूडियां भी पहन सकती हैं। इसके अलावा एथनिक गोल्डन चूडियां भी ट्रेंड में हैं। इसके बीच-बीच में लगे जरकन नग, आपके त्योहार की चमक को बढ़ा देंगे। ज्वेलरी शॉप पर महिलाएं इस तरह की ज्वेलरी को काफी पसंद कर रही हैं।शाम 7:40 बजे के बाद चंद्रदर्शन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिषि विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी करक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह चतुर्थी चंद्रोदय काल व्यापिनी होती है अर्थात् चंद्रोदय के समय चतुर्थी मिलने पर इस व्रत का संधान किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बार रविवार 20 अक्टूबर को दिन में 10:46 बजे तक तृतीया रहेगी। 10:47 बजे चतुर्थी लग जाएगी जो अगले दिन सोमवार को सुबह 9:00 बजे तक रहेगी। इस दशा में चंद्रोदय कालव्यापिनी चतुुर्थी रविवार की शाम को प्राप्त होगी, अत: करक चतुर्थी या करवा चौथ व्रत रविवार को ही किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रविवार की भोर में ही जल ग्रहण कर सौभाग्यवती स्त्रियां व्रत का संधान करेंगी। शाम 7:40 बजे चंद्रोदय पश्चात चंद्रदर्शन कर पारण करेंगी।
पति के लिए व्रत की परंपरा सतयुग से
बीएचयू के ज्योतिषाचार्य विनय पाण्डेय ने कहा - पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखने की परंपरा सतयुग से चली आ रही है। इसकी शुरूआत सावित्री के पतिव्रता धर्म से हुई। जब यम आए तो सावित्री ने अपने पति को ले जाने से रोक दिया और अपनी दृढ़ प्रतिज्ञा से पति को फिर से पा लिया। तब से पति की लंबी उम्र के लिए व्रत किए जाने लगे। दूसरी कहानी पांडवों की पत्नी द्रौपदी की है। वनवास काल में अर्जुन तपस्या करने नीलगिरि के पर्वत पर चले गए थे। द्रौपदी ने अुर्जन की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण से मदद मांगी। उन्होंने द्रौपदी को वैसा ही उपवास रखने को कहा जैसा माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था। द्रौपदी ने ऐसा ही किया और कुछ ही समय के बाद अर्जुन वापस सुरक्षित लौट आए।