गलियों के शहर को उजाड़ने की कोशिश!
वाराणसी (रणभेरी सं.)। विश्व की सबसे प्राचीन एवं सांस्कृतिक नगरी काशी जो भगवान शंकर के त्रिशूल पर विराजमान है। इसकी सुंदरता इसकी गलियां है, काशी की इन गलियों में लघु भारत निवास करता है। यहां पर कनड़, तमिल, सिख, हिंदू, मुस्लिम बंगाली सहित पूरे भारत के रहने वाले लोग रहते हैं । उनके रहने का एकमात्र उद्देश्य तीनों लोकों से नगरी काशी में काशीवास करना और अपने शरीर को अंतिम समय यहीं पर भगवान के चरणों में समर्पित करना है। आज से नहीं सदियों से यही परंपरा चली आ रही है। काशी में लोग जीवन जीने के लिए नहीं बल्कि जीवन से मुक्ति के लिए आते हैं और यहीं पर अपने प्राण का त्याग भी करते हैं। लेकिन अब शायद उनका यह सपना अधूरा ही रह जाए क्योंकि विकास के नाम पर काशी को उजाडने का प्रयास शुरू हो गया है। पहले विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम पर सैकड़ो मोहल्ले को उजाड़ा गया और अब काल भैरव कॉरिडोर, विशालाक्षी करिडोर, गौरी केदारेश्वर कॉरिडोर, रानी लक्ष्मीबाई जन्मस्थली करिडोर, जगन्नाथ कॉरिडोर सहित अन्य कॉरिडोर के नाम पर काशी को उजाड़ कर वहां पर माल संस्कृति को विकसित करने का प्रयास शुरू हो गया है।
संस्कृति को खत्म करने का प्रयास : समाजसेवी शशि शेखर चतुवेर्दी ने कहा कि काशी मे अहिल्याबाई होलकर, रानी भवानी सहित अनेक राजा महाराजाओं ने आकर मठ, मंदिर, गंगा घाटों का निर्माण कराकर काशी की संस्कृति का जीवन्त किया वहीं अब इस संस्कृति को खत्म करने का प्रयास शुरू हो गया है।
गलियों के शहर पर पूंजीपतियो की नजर
प्राचीन तीर्थस्थली काशी को अब पर्यटन स्थल के रूप में जोर-जोर से विकसित किया जा रहा है। पूरे विश्व में रोम और काशी सबसे प्राचीन नगर है। रोम को वहां के लोगों ने इस तरह से विकसित किया है जैसे वह पुराने समय में था लेकिन काशी को विकास के नाम पर इसकी प्राचीनता को भी नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। गलियों के शहर बनारस को पूंजीपतियो की नजर लग गई है।
कॉरिडोर कल्चर मतलब पुराने को उजाड़ना
उनको काशी धार्मिक स्थली नहीं, धन कुबेर की नगरी दिख रही है और वह यह चाहते हैं कि यहां पर प्राचीन मठ मंदिर मकान हटाकर वहां पर बड़े-बड़े होटल माल आदि का निर्माण हो और हम खूब पैसा यहां से बटोर कर ले जाए। काशी मे रहने वाले लोगों का कहना है कि कॉरिडोर कल्चर में पहले लोगों को उजाड़ा जाता है फिर दूसरे लोगों को लाकर बसाया जाता है यही है कॉरिडोर कल्चर।