अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चला तो सजग हुए खरीदार

 अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चला तो सजग हुए खरीदार

गोरखपुर । शहरी सीमा क्षेत्र के खेतों में अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चला तो खरीदार सजग हो गए। जमीन के खरीदार तो कम जरुर हुए, मगर धोखा खाने से लोग बच रहे हैं। लोग इतनी ज्यादा सतर्कता बरत रहे हैं कि जीडीए या लेआउट पास होने वाले प्रोजेक्ट पर ही दांव लगा रहे हैं। हालांकि रजिस्ट्री कार्यालय इसको लेकर चिंता में है। बीते वित्तीय वर्ष की अपेक्षा इस बार 1117 संपत्तियों की रजिस्ट्री कम हुई है। इसका असर राजस्व पर भी हुआ है। मार्च में वित्तीय वर्ष पूरा हुआ तो रजिस्ट्री कार्यालय में भी मंथन हो रहा है कि कैसे वैद्य प्रोजेक्ट की संख्या बढ़े और रजिस्ट्रियां फिर से अपने पुराने आंकड़ों को छू सकें। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने शहरी के आसपास विकसित हो रहे क्षेत्रों में अवैध प्लाटिंग पर बुलडोजर चलाया तो बिना लैंड यूज बदले और बिना परमिशन के प्लाटिंग करने वाले शहर छोड़कर भाग गए। भूमाफिया को धोखे से लोगों को मुक्ति मिली और अवैध कॉलोनियां विकसित होने का सिलसिला भी थम गया। अवैध रूप से जमीन बेचने का धंधा भी मंदा हो गया। लोगों में जागरूकता भी आई है। इस कारण लोग आशियाना बनाने या जमीन में निवेश करने से पहले जांच-पड़ताल कर रहे हैं। अधिकारियों का यह भी मानना है कि गोरखपुर में विकास प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं तो लोग असमंजस में हैं कि जहां वे घर बनाएंगे, कहीं वह स्थान विकास प्रोजेक्ट में न आ जाए। जीडीए क्षेत्र में 180 गांव शामिल हुए हैं। इन गांवों में जमीन की खरीद-फरोख्त में रजिस्ट्री शुल्क के साथ दो प्रतिशत विकास शुल्क लिया जाता है।

...तो लोग हो गए जागरूक
तहसील सदर परिसर के अधिवक्ता रवि प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि अवैध प्लाटिंग पर जीडीए का बुलडोजर चल रहा है। इस कारण लोगों में भय है कि कहीं उनकी खरीदी गई जमीन पर बनाया गया मकान भी अवैध न हो जाए। लोग जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। बिल्डरों के कारण कुछ लोगों के जीवन की गाढ़ी कमाई फंस चुकी है। यह चर्चा लोगों में है तो जमीन खरीदने वालों में जागरूकता बढ़ गई है। लोग नियम कायदे पर ध्यान दे रहे हैं। जिन प्लाटिंग पर बुलडोजर चला है, उनमें कुछ जमीनों की रजिस्ट्री हो चुकी है। ऐसे लोग न तो मकान बना पा रहे हैं और न उनके रुपये की वापसी की संभावना है।

एआईजी स्टांप प्रदीप राणा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में पिछले वर्ष की अपेक्षा रजिस्ट्री कम हो गई है। अवैध प्लाटिंग पर अंकुश लगने और एक साथ कई सरकारी प्रोजेक्ट में जमीनों के अधिग्रहण की चर्चा के कारण रजिस्ट्री कम हो रही है। सरकारी स्तर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया के कारण लोगों में अनिश्चितता की स्थिति है। जमीन खरीदने में पहले की अपेक्षा लोग अधिक जांच पड़ताल कर रहे हैं।