ट्रायल शुरू होने से पहले गवाहों की सूची देना बाध्यकारी
प्रयागराज । महत्वपूर्ण फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे का ट्रायल शुरू होने से पहले केस के गवाहों की सूची उपलब्ध कराना बाध्यकारी है। कोर्ट ने पूरे प्रदेश में इसका अनुपालन कराने का आदेश जारी किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रायल शुरू होने से पहले अभियोजन उन गवाहों की सूची उपलब्ध कराएगा, जिनकी गवाही प्रस्तावित है। इसे बाध्यकारी बताते हुए कोर्ट ने अभियोजन के महानिदेशक को पूरे प्रदेश में इसका अनुपालन कराने का निर्देश भी दिया। उक्त टिप्पणी के साथ कोर्ट ने आरोपी की जमानत अर्जी रद्द कर दी। न्यायमूर्ति अजय भनोट ने ट्रायल कोर्ट की ओर से धीमी गति से मामले की सुनवाई करने पर चिंता जताई। मामले में अभियोजन पक्ष ने आरोपों को साबित करने के लिए 67 गवाहों की जांच का प्रस्ताव रखा जबकि ट्रायल कोर्ट में अब तक केवल सात गवाहों से ही पूछताछ की गई है। आवेदक की ओर से अधिवक्ता शिवांगी सिंह और एजीए पारितोष कुमार मालवीय ने पक्ष रखा मामले में आरोपी शाहजान पर थाना हल्दौर, जिला बिजनौर में 2021 में हत्या सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। उस पर गोली मार कर हत्या का आरोप है। मृतक को कई गोलियां लगीं थीं। आरोपी छह फरवरी 2021 से जेल में है। ट्रायल कोर्ट की ओर से 29 जून 22 को जमानत अर्जी खारिज किए जाने के बाद आवेदक ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी चश्मदीद गवाह और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर जमानत आवेदन नामंजूर कर दिया। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के धीमी गति से सुनवाई पर चिंता जताते हुए टिप्पणी की। साथ ही ट्रायल कोर्ट से आरोप पत्र में उल्लिखित अभियोजन गवाहों की संख्या और कैलेंडर में दर्शाए गए अभियोजन गवाहों सहित मुकदमे की स्थिति के बारे में सभी जानकारियां मांगी थीं। वहीं ट्रायल कोर्ट ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में केवल आरोप पत्र में उल्लिखित गवाहों के बारे में ही जानकारी दी थी। अभियोजन पक्ष की ओर से ट्रायल कोर्ट में गवाहों की सूची प्रस्तुत न किए जाने पर कोर्ट ने कहा, ट्रायल शुरू होने से पहले गवाहों की सूची उपलब्ध कराना बाध्यकारी है