काशी में हनुमान जयंती की धूम: संकट मोचन मंदिर में 2500 Kg लड्‌डू का लगाया गया भोग, भक्तों ने निकाली गई ध्वजा यात्रा

काशी  में हनुमान जयंती की धूम: संकट मोचन मंदिर में 2500 Kg लड्‌डू का लगाया गया भोग, भक्तों ने निकाली गई ध्वजा यात्रा

वाराणसी (रणभेरी): आज हनुमान जयंती है। इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था यह माना जाता है। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है। वाराणसी के लंका क्षेत्र में संकट मोचन मंदिर है। 

40 स्थानों पर होगा ध्वजयात्रा का स्वागत

शनिवार को संकट मोचन मंदिर में पवनपुत्र की आरती के साथ ही 2500 Kg लड्‌डू का भोग लगाया। वहीं 11 सौ डमरूओं के वादन के साथ हनुमान ध्वज यात्रा शुरू हुई। इसमें 2100 फीट का गदा भी शामिल है। भारी संख्या में भक्त यात्रा में शामिल हुए और जय बजरंगी का जयकारा लगाया। भक्त शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत कर रहे हैं। इसमें नेवादा, सुंदरपुर, नरिया, लंका, रविदास गेट, संकटमोचन तिराहे पर विभिन्न संस्थाओं, समितियों एवं व्यापारियों ने स्वागत में हिस्सा लेगे। यहां पीने के लिए पेयजल, शर्बत, फलाहार आदि की व्यवस्था भी की गई है। हनुमत सेवा समिति की तरफ से भक्तों के लिए 1001 किलोग्राम लड्डू का भोग प्रसाद बनवाया गया, जिसे भक्तों में वितरित किया जाएगा।

बता दें कि चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन बजरंगबली की आराधना से अष्ट सिद्धी नव निधि का आशीर्वाद मिलता है। भक्त हाथों में ध्वज लेकर यात्रा निकालते हैं और जयकारा लगाते हैं। वाराणसी के विभिन्न क्षेत्रों से निकली यात्रा का समापन संकट मोचन मंदिर पर होता है और सर्वसिद्धि की मनोकामना पूरी होती है।

वहीं प्रयागराज के लेटे हनुमान का भव्य श्रृंगार किया गया। इसके बाद दर्शन करने को भक्तों की लंबी कतार लग गई है। वहीं अयोध्या के हनुमानगढ़ी में भी भक्तों की भारी संख्या में भीड़ है। करीब 1 Km लंबी लाइन लगी है।

हनुमान जयंती के पावन पर्व पर शनिवार को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में विराजमान अक्षयवट हनुमान की जयंती भव्यता से मनायी गई। शनिवार की भोर में हनुमत लला का पंचामृत स्नान कराके तेल-सिंधुर का लेपन करने के पश्चात नूतन वस्त्र धारण कराया गया। पुजारी राजू पांडेय ने गुलाब, तुलसी, गेंदा आदि सुगंधित पुष्प की मालाओं से भव्य शृंगार किया गया। मंदिर के महंत नील कुमार मिश्रा ने बाबा की महाआरती की और भक्तों के दर्शन के लिए कपाट खोल दिया गया।