Guru Nanak Jayanti की यूपी में धूम, लोगों को आध्यात्म से जोड़ता है गुरू नानक का दर्शन

Guru Nanak Jayanti की यूपी में धूम, लोगों को आध्यात्म से जोड़ता है गुरू नानक का दर्शन

(रणभेरी): आज कार्तिक पूर्णिमा है और ये सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी की जयंती की तिथि है। गुरु नानक जयंती 19 नवंबर (शुक्रवार) को है। इस साल उनकी 552वीं जयंती आज मनाई जा रही है। इसे प्रकाश उत्सव या गुरु परब भी कहा जाता है. गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में लाहौर के पास राय भोई की तलवंडी (अब ननकाना साहिब) में हुआ था। गुरु नानक जयंती उत्सव पूर्णिमा दिवस से दो दिन पहले शुरू हो जाता है जिसमें अखंड पाठी, नगर कीर्तन जैसे अनुष्ठान शामिल हैं। 

हर साल मनाया जाने वाला यह पर्व दुनिया भर के सिख समुदाय के लिए सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक है और उसी तरह यूपी के सिखों के लिए भी यह बहुत बडे अवसरों में से एक है। यूपी में सिखों का सबसे बडा तबका किसान वर्ग से आता है। और किसान वर्ग के लिए आज नानक जयंंती के साथ ही दोहरी खुशी का अवसर है, क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव की जयंती पर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है. सिखों के लिए इस बहुत बडे अवसर पर हम यूपी में सिखों की स्थिति, आमद, डेमोग्राफी आदि पर नजर डाल लेते हैंं। 

सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के आखिरी 18 वर्ष करतारपुर साहिब में बिताए थे। पाकस्तिान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के पास स्थित तलवंडी गांव, जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, में 1469 ईसवी में जन्मे गुरु नानक ने मानवता की भलाई में हर तरह से योगदान दिया। गुरु नानक देव जी के जीवनवृत पर शोध करने वाली डॉ. मनजीत कौर बताती हैं कि गुरु नानक देव जी का बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता था। वह शुरू से ही अध्यात्म और ईश्वर की प्राप्ति में रुचि रखते थे। एक दिन उनके पिता कल्याणचंद (मेहता कालू) ने उन्हें पढ़ाई के लिए पंडित जी के पास भेजा तो पंडित जी ने उन्हें ओम लिखने के लिए कहा, लेकिन गुरु साहिब ने ओम के आगे अंकों में एक लिख दिया, जिसके पीछे उनका भाव यह बताना था कि ईश्वर एक है। 

डॉ. मनजीत ने बताया, एक बार कुछ लोगों ने गुरु नानक देव से पूछा कि हमें यह बताइए कि आपके अनुसार हिंदू बड़ा है या मुसलमान तो गुरु साहिब ने उत्तर दिया, 'अवल अल्लाह नूर उपाइया कुदरत के सब बंदे, एक नूर से सब जग उपजया कौन भले कौन मंदे। यानी सब इंसान ईश्वर के पैदा किए हुए हैं, न तो हिंदू कहलाने वाला भगवान की नजर में कबूल है, न मुसलमान कहलाने वाला। रब की निगाह में वही बंदा ऊंचा है जिसका अमल नेक हो, जिसका आचरण सच्चा हो। गुरु साहिब ने यह भी कहा कि कर्मों के बिना दोनों का जीवन व्यर्थ है।  डॉ. मनजीत बताती हैं कि गुरु नानक देव जी का करतारपुर साहिब से काफी जुड़ाव रहा। 1521 ईसवी में गुरु नानक देव जी अपनी धार्मिक यात्राओं को खत्म कर करतारपुर में बस गए और अपने जीवन के अंत तक यहीं रहे। इस दौरान उन्होंने मानवता को 'नाम जपो' यानी ईश्वर का नाम जपते रहने, 'किरत करने' यानी ईमानदारी से मेहनत कर आजीविका कमाने और 'वंड छको' यानी अपने पास मौजूद हर वस्तु/सामग्री को साझा करने के तीन मूल मंत्र दिए, जिसका आज न केवल सिख समुदाय, बल्कि दुनिया का हर एक धर्म अनुसरण करता है।