रौद्र रूप धारण कर स्थिर हुई गंगा

रौद्र रूप धारण कर स्थिर हुई गंगा

वाराणसी (रणभेरी सं.)। महादेव की नगरी काशी में गंगा और वरुणा अपने रौद्र रूप में आ गई हैं. बाढ़ का पानी कॉलोनियों तक पहुंच गया है। गंगा के बढ़ रहे जलस्तर से हजारों लोग प्रभावित हैं. वाराणसी के सामने घाट, मारुति नगर समेत कई इलाकों में घरों तक पानी पहुंच गया है. वहीं वरुण के इलाके भी सरैया से लेकर नक्खी घाट, पुराना पुल और अन्य बाढ़ की चपेट में है। प्रशासन की तरफ से बढ़ रहा चौकियों का निर्माण किया जा चुका है और बाढ़ प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों तक ले जाने की कवायत तेज कर दी गई है। वाराणसी में मंगलवार दोपहर 1 बजे तक गंगा का जलस्तर 70.83 मीटर रिकॉर्ड किया गया। जो वार्निंग लेवल से 55 सेंटीमीटर ऊपर बह रहा है। वाराणसी में खतरे का निशान 71.26 मीटर है। इससे गंगा कुछ ही मीटर की दूरी पर है। गंगा का जलस्तर इस वक्त स्थिर बताया जा रहा है। अब घटने की उम्मीद जताई जा रही है।

लगातार चार दिनों से गंगा के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी की वजह से लगभग 20000 से ज्यादा लोग प्रभावित माने जा रहे हैं। सबसे ज्यादा असर सामने घाट और उससे सटे इलाकों में देखने को मिल रहा है। यहां पर बनाए गए एक नए बांध में लीकेज की वजह से पानी कॉलोनी तक पहुंच गया है। वाराणसी के जिला अधिकारी एसराज लिंगम का कहना है कि जनपद में कुल 46 बाढ़ राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। जिनमे से 14 बाढ़ राहत शिविर क्रियाशील हैं। जहां भी लोग घरों में फंसे हैं, उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए लगभग दो दर्जन से ज्यादा नावों को लगाया गया है।

 बाढ़ राहत शिविरों में 299 परिवार

इस समय बाढ़ बाढ़ राहत शिविरों में 299 परिवारों के 1601 लोग निवास कर रहे हैं. अवश्यकतानुसार और बाढ़ राहत शिविर को क्रियाशील कर दिया जाएगा। उक्त बाढ़ राहत शिविरों में रह रहे व्यक्तियों एवं परिवारों के लिए भोजन, फल, दूध, पेयजल के साथ साथ समस्त मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाढ़ राहत शिविर में मेडिकल कैम्प स्थापित किया गया है। जिसमें बाढ़ पीड़ितों का स्वास्थ्य परिक्षण किया जा रहा है। नगर निगम द्वारा शिविरो में फॉगिन कराई जा रही है

वरुणा में पलट प्रवाह 

गंगा का जलस्तर बढ़ने से वरुणा नदी में जल का उल्टा प्रवाह हो रहा है, जिसके कारण बाढ़ की स्थित उतपन्न हो गई है। जनपद में बाढ़ से कुल 4461 लोग प्रभावित हैं. मोकलपुर में कटान से प्रभावित 3 परिवारों को राहत शिविर में शिफ्ट किया गया है। बाढ़ में बचाव के लिए 22 नावें लगाई गई हैंं। जनपद में एनडीआरएफ की 01 टीम एवं जल पुलिस द्वारा भी मोटर बोट लगा कर राहत एवं बचाव कार्य किया जा रहा है।

काशी विश्वनाथ धाम में घुसा पानी

गंगा से जुड़े तटवर्ती इलाकों में पानी भर जाने के कारण लोग गहरी मुश्किल में फंस गए हैं। सतुआ बाबा आश्रम गली की ओर से बाढ़ का पानी काशी विश्वनाथ धाम परिसर तक पहुंच गया है। पिछले वर्ष भी गंगा का पानी यहां तक पहुंच गया था। दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर भी सड़क तक पानी पहुंचने की स्थिति बन गई है।ग्रामीण क्षेत्र के निचले इलाकों में रहने वाले तमाम परिवारों के लोग अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थान और छतों पर गुजर-बसर करने के लिए मजबूर हो गए हैं। ग्रामीण इलाकों में फसल व पशुओं का चारा भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया है। वहीं मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह की विकट समस्या भी उत्पन्न हो गई है। दोनों ही घाटों पर गलियों में अंतिम संस्कार किया जा रहा है। अंतिम संस्कार के लिए काफी कम जगह होने के कारण लोगों को काफी इंतजार करना पड़ रहा है।

 हर संभव मदद देने का सीएम का वादा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सोमवार को वाराणसी के दौरे पर पहुंचे थे। वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और बाढ़ पीड़ित लोगों को राहत सामग्री का वितरण किया। उन्होंने बाढ़ पीड़ित लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया है। उन्होंने वाराणसी के अफसरों को भी बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए मुस्तैद रहने का निर्देश दिया है। 

शवदाह स्थल तक जाने के लिए नाव का सहारा 

मणिकर्णिका घाट पर बाढ़ की वजह से स्थिति काफी दयनीय है। दह संस्कार करने आने वाले लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें शवदास के लिए 10-15 हजार तक देने पड़ रहे हैं। इसके अलावा शवदाह स्थल तक जाने के लिए नव का सहारा लेना पड़ रहा है उसको भी 300 से 500 तक देना पड़ रहा है। वहां आने वाले लोगों का कहना है कि यहां बैठने तक की जगह नहीं है खड़े होकर ही तीन से चार घंटे बिताने पड़ रहे हैं इसके अलावा गली में शव की लंबी लाइन लगी हुई है। जिसे बारी-बारी शवदास स्थल तक ले जाया जा रहा है।