सफाई के नाम पर निभाई जा रही औपचारिकता, राजघाट पुल पर लगा है कूड़ा कचरा का अम्बार
वाराणसी(रणभेरी): बीते सप्ताह में केंद्र सरकार के वार्षिक स्वच्छता सर्वेक्षण में लगातार दूसरी बार वाराणसी को उत्तर प्रदेश में पहला स्थान मिला है। देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महापौर डॉ मृदुला जायसवाल और पूर्व नगर आयुक्त गौरांग राठी को पुरस्कार दिया। वाराणसी नगर निगम को पुरस्कार मिलने पर लोग सोशल मीडिया में खुशी जताने के साथ गंदगी वाले स्थानों की तस्वीर लगा तंज भी कसते रहे। गौरतलब है कि,वाराणसी को देश में गंगा किनारे बसा सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार मिला है। लगातार दूसरी बार सबसे स्वच्छ शहर में वाराणसी चुना गया। इससे पहले भी केंद्र सरकार के वार्षिक सर्वेक्षण 2020 के अनुसार गंगा किनारे बसे सबसे स्वच्छ शहरों में वाराणसी शीर्ष स्थान पर था।
स्वच्छ शहरों में वाराणसी शीर्ष कैसे जब गंदगी बनी हुई है?
प्राचीन शहर वाराणसी को गंगा नदी किनारे सबसे साफ शहर बनाने में प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा योगदान है। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र के अस्सी घाट से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। जिसके बाद से गंगा घाटों की सफाई दिन दूनी-रात चौगुनी रफ्तार से बेहतर होती चली गई। गार्बेज फ्री सिटी और सफाई मित्र चैलेंज की श्रेणी में उल्लेखनीय योगदान के लिए वाराणसी नगर निगम को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। लेकिन त्योहारों के बाद भी लोकप्रिय राजघाट पुल पर कूड़े की स्तिथि जस की तस हैं। वैसे तो इस पुल पर रोजाना ही हज़ारो लोग गुज़रते हैं जिनका मुख्य आकर्षण केंद्र इनदिनों यहां जमा कूड़ा बन गया हैं। नगरनिगम सफाईकर्मी द्वारा तो यहां की सफाई ना करने की कसम खिला दी गयी हैं। पुल के आने जाने के रास्ते में फुटपाथ के दोनों ओर कूड़ा जमा हैं।
आकड़े सही- गलत या मौके पर हो रहा आंखो का धोका
नगर निगम के अफसर यूं तो काशी की सफाई को लेकर बड़े बड़े दावे करते हैं परन्तु जब जमीनीस्तर पर काम का सर्वेक्षण होता हैं तो टायें-टायें-फ़िश हो जाते हैं। शहर से प्रतिदिन 700 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। कचरा निस्तारण के लिए 4700 सफाईकर्मी काम कर रहे हैं। जीपीएस से लैस 231 वाहन कूड़ा निस्तारण के काम में लगे हैं। प्राचीन शहर के 20 कूड़ाघरों की निगरानी सीसीटीवी कैमरे से की जाती है। घरों और दुकानों से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम कराया जा रहा है। लेकिन फिर भी व्यवस्था लाइन पर नज़र नहीं आरही है।
यह वही कूड़ा जिसने बना दिया नाम
शहर बनारस के प्रमुख गंगा पुल में से एक राजघाट पुल (मालवीय ब्रिज) पर गन्दगी के अम्बार के बाद डोमरी गांव निवासी मंगल केवट ने सफाई की ज़िम्मेदारी ली। इस ज़िम्मेदारी से उन्हें इतना ज़्यादा नाम मिला कि उन्हें प्रधानमंत्री ने स्वयं अपने मंच पर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई। नगर निगम भी जागा और पुल की लगातार सफाई होने लगी पर पिछले कई हफ़्तों से इस पुल के दोनों फुटपाथ पर कूड़े का अम्बार लगा हुआ है।
व्यवस्था बेकार, जिम्मेदार नहीं ले रहे सुध
इस अम्बार को साफ़ करने के लिए किसी का ध्यान इस ओर नहीं जा रहा है। त्यौहार के पहले साफ़-सफाई का दावा करने वाले नगर निगम के अंतर्गत त्यौहार के बाद मुंह उठाकर देखते ही नहीं बना सफाई की तरफ। रोजाना आवागमन वाले इस पुल पर कूड़े का ढेर है, जो सर्दियों में विभिन्न प्रकार की बिमारियों जैसे ज़ीका वायरस डेंगू आदि फैलाने के मुख्य कारक मच्छरों को पैदा करने के लिये सक्षम है। सीएम- पीएम के दौरे पर भी जस का तस ही बना हुआ हैं हाल।
नागरिकों ने भी मानी गलती
मुख्यमंत्री वाराणसी की लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं पर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के प्रमुख पुल जिसपर रोज़ाना हज़ारों लोगों की आवाजाही है वहां कूड़े का ढेर है। पुल से रोज़ाना आने-जाने वाले लोगों ने माना कि इस लापरवाही के लिए हम और आप भी उतने ही ज़िम्मेदार हैं जितना नगर-निगम, गंगा में कूड़ा फेकने पर प्रतिबन्ध है ऐसे में लोग घर की मंदिर की खराब हुई फूल माला को लाकर उचित स्थान पर न डालकर पुल के किनारे छोड़ जाते हैं जिससे या गन्दगी दिन बा दिन बढ़ती जा रही है।