चेक माई फिज्ज, पूरा यूपी पी रहा अब गोरक्षनगरी की पेप्सी- जानें कितनों को मिला रोजगार

 चेक माई फिज्ज, पूरा यूपी पी रहा अब गोरक्षनगरी की पेप्सी- जानें कितनों को मिला रोजगार

गोरखपुर। फैक्टरी के उत्पादन शुरू करने के साथ ही प्रत्यक्ष तौर पर 1500 परिवारों को रोजगार मिला है। वहीं आने वाले समय में लगभग 10 हजार किसान पशुपालकों को भी काम मिलेगा। ऐसा इसलिए कि इस फैक्टरी में कोल्ड ड्रिंक्स के अलावा दूध, छाछ, लस्सी, आईसक्रीम, चॉकलेट आदि का भी निर्माण होगा। गोरखपुर में चेक माई फिज्ज, रैपर बादशाह वाला यह पेप्सी सॉंग इन दिनों युवाओं की जुबां पर है, जो गोरक्षनगरी पर एकदम सटीक बैठता है। गीडा की सबसे बड़ी कंपनी वरुण बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड में पेप्सी का उत्पादन शुरू हो गया है। यहां हर दिन करीब एक लाख लीटर कोल्ड ड्रिंक्स तैयार हो रही है। यह माल पूर्वांचल समेत पूरे यूपी में पहुंच रहा है। अब पूरे यूपी से फीडबैक लिया जा रहा है कि गोरक्षनगरी में बनी पेप्सी का स्वाद कैसा है। युवाओं में पेप्सी की झनझनाहट की चर्चा कैसी है। इस फैक्टरी के उत्पादन शुरू करने के साथ ही प्रत्यक्ष तौर पर 1500 परिवारों को रोजगार मिला है। वहीं आने वाले समय में लगभग 10 हजार किसान पशुपालकों को भी काम मिलेगा। ऐसा इसलिए कि इस फैक्टरी में कोल्ड ड्रिंक्स के अलावा दूध, छाछ, लस्सी, आईसक्रीम, चॉकलेट आदि का भी निर्माण होगा। गीडा सेक्टर-27 में वरुण बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से 1100 करोड़ रुपये निवेश किए गए हैं। इस प्लांट से कोल्ड ड्रिंक के अलावा दूध, दही, छाछ, लस्सी, चॉकलेट आदि उत्पाद भी बनेंगे। इससे करीब डेढ़ हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है। इसके अलावा लगभग 10 हजार दूध विक्रेताओं को भी फायदा होगा। वरुण बेवरेज के निदेशक कमलेश जैन ने बताया कि फैक्टरी में मशीनरी स्टालेशन का कार्य आरंभ कराकर उत्पादन शुरू करा दिया गया है। इस प्लांट से हर दिन करीब एक लाख लीटर उत्पादन हो रहा है। यहां तैयार माल अभी पूर्वांचल के गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, वाराणसी मंडल समेत पूरे यूपी में भेजे जा रहे हैं। उत्पादन बढ़ने पर इसे मांग के अनुसार बिहार भी भेजा जाएगा। जल्द ही यहां तैयार छाछ, लस्सी, दही आदि भी मिलने लगेंगे।

दूध विक्रेताओं के पास बढ़ेंगे अवसर
गीडा में ज्ञान डेयरी के बाद अब पेप्सिको का भी प्लांट शुरू होने के बाद दूध, पनीर, छाछ आदि के पैकेट यहां बनने लगे हैं। इसके लिए दूध की आपूर्ति गोरखपुर व आसपास के जिलों से ही की जानी है। दोनों कंपनियों की खपत मिला दें, तो हर दिन करीब तीन लाख लीटर दूध की जरूरत होगी। इतनी बड़ी मात्रा में दूध अभी इस क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है। अभी ये कंपनियां अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए प्रदेश के दूसरे हिस्सों पर निर्भर हैं, लेकिन जैसे-जैसे उद्योग रफ्तार पकड़ेंगे, दूध का उत्पादन भी बढ़ाना होगा। इसका सीधा फायदा दूध उत्पादकों के साथ-साथ उन्हें फैक्टरी तक पहुंचाने वालों को भी मिलेगा। देखा जाए तो इन दोनों फैक्टरियों के चलते गोरखपुर में अब पशुपालन में भी नई संभावनाएं विकसित होंगी।