युवाओं के सपनों के साथ न करें छल...राजनीतिक दल

युवाओं के सपनों के साथ न करें छल...राजनीतिक दल
  • युवाओं की पुकार: भीख नहीं, चाहिए रोजगार व उम्मीदों का संस्कार

  • नेता झूठ बोलने से बाज आये, बुनियादी मुद्दों से न भटकाए

 रण में रणभेरी : आजादी मिलने के बाद का दौर था। उद्योग धंधों के नाम पर देश के हाथ छूछे थे। जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा था। बेकारी की मार का शिकार युवा वर्ग दिशाहीनता की स्थिति में हताशा और निराशा की अंधी सुरंग में फंसा आपे से बाहर हुआ जा रहा था। इसी दरमियान एक बड़े राजनेता उन दिनों सर्वोदयी धारा के प्रतिनिधि संत विनोवा भावे से मिले और बड़े रोष के साथ शिकायत दर्ज कराई की देश का नौजवान उदंड होता जा रहा है। विनोबा ने गौर से उनकी बात सुनी और बड़े शांत भाव से उत्तर दिया "नेताजी मुझे तो बड़ा आश्चर्य है कि दुविधा के दोराहे पर खड़ा देश का नौजवान उदंडता की सीमा लांघकर विद्रोही क्यों नहीं हो रहा। बेरोजगारी कीमार के बाद भी अपना आपा क्यों नहीं खो रहा !" नेताजी अपना सा मुहं लिए विनोबा के आश्रम से वापस हो लिए।

दशकों बीत गए देश को स्वतंत्र हुए किंतु आज भी जब हम सिर उठाते है तो छात्र-नौजवानों को अब भी उसी दोराहों पर खड़ा पाते है। बीते विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के रहनुमाओं ने जब सार्वजनिक मंचो से बेरोजगारी के लिए अभिशप्त नौजवानों को बड़े करीने से झूठ बोलकर लाखों के रोजगार सृजन का सब्जबाग दिखलाया तो थकी मांदी तरुणाई ने इस वायदों पर यकीन कर सत्ता परिवर्तन की मुहिम में खुलकर हाथ बंटाया, नई सरकार को बड़ी हसरतों के साथ गद्दी पर बैठाया। अब जब पूरे पांच साल के बाद समीक्षा का अवसर आया तो नौजवानों ने अपनी बंद मुठ्ठियां खोली और ठगे से रह गए जब उन्होंने अपनी दोनों हथेलियों को रीता हुआ पाया। तब उन्हें इलहाम हुआ कि सरकार ने चंद फोन व लैपटॉप बांटकर कितनी चतुराई से उन्हें बरगलाया है। उनके सपनों के साथ किस तरह छल किया है, कैसे उन्हें हम बेवकूफ बनाये है। अब जब विधानसभा चुनाव एक बार फिर सिर पर आ खड़ा हुआ है तो सवाल पूछने पर पांच वर्षों से तिलमिलाया प्रदेश का बेरोजगार नौजवान बेरोजगारी में बीते अपने एक एक पल को बड़ी निष्ठुरता से समय के तराजू पर तौल रहा है, खुलकर बोल रहा है। रणभेरी से हुए साक्षात्कारों में एक बात खुलकर सामने आ रही है कि नाकारापन के दंश से तिलमिलाया प्रदेश का नौजवान अब झूठे नेताओं को सबक सिखाने के मूड में हैं। वाराणसी के छात्र नौजवानों से हुई चचार्ओं के कुछ अंश आपके सामने है। इनसे स्पष्ट संकेत मिलते है कि इस दफा प्रदेश का युवा किसी झांसे में नहीं आएगा। ठाना है जो मन में उसे पूरा करके दिखाएगा।

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