सीएम के आदेश का भी नहीं हुआ असर, अतिक्रमण के चपेट में रामनगर

सीएम के आदेश का भी नहीं हुआ असर, अतिक्रमण के चपेट में रामनगर
  • स्थानीय प्रशासन की शिथिलता के कारण सातवें आसमान पर है अतिक्रमणकारियों का मन
  • रामनगर के रास्ते ही पड़ोसी जिले और राज्य से बीएचयू और ट्रामा सेंटर में इलाज को आते है लोग
  • अतिक्रमण के कारण लगता है जाम, आमलोगों को चलने के लिए फुटपाथ भी नहीं नसीब

वाराणसी (रणभेरी): धर्म और शिक्षा नगरी के साथ साथ काशी राजा रजवाड़ों का भी गढ़ है। गंगा पार स्थित रामनगर में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी घर है। बनारस के दक्षिणी छोर पर स्थित रामनगर में आज भी काशी नरेश का किला मौजूद है जहां देश-दुनिया से पर्यटक हर रोज घूमने आते हैं। उसी रामनगर में दुर्व्यवस्थाओं का अंबार है। रामनगर में आज हर जगह अतिक्रमण अपने पांव पसारा हुआ है। जाहिर है कि सूबे के मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों अपने आदेश में कहा था कि सड़कों, गलियों, मोहल्लों से अवैध अतिक्रमण तुरंत हटवाया जाय। अवैध ऑटो  रिक्शा, बस स्टैंड संचालकों के प्रति कार्रवाई की जाए। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद से शासन महकमें ने थोड़ी फूर्तिबाजी तो दिखाई पर उसका जमीनी असर कुछ खास नहीं दिखा। जिस जगह से अतिक्रमण हटाया गया वहां पुन: अतिक्रमण का बाजार सज गया है। रामनगर का किस्सा यह है कि सड़को से लेकर पटरियों तक अतिक्रमण फैला है बावजूद इसके किसी जिम्मेदार का ध्यान इस ओर नहीं जाता। यही नहीं वाहनों की संख्या में हो रहे इजाफे से रामनगर बाजार की तंग सड़कें सुचारु आवागमन में नाकाफी साबित हो रही हैं। जाम की मुख्य वजह पटरियों पर अतिक्रमण भी है।

सुबह होने के साथ ही पटरियों पर दुकानें सज जाती हैं, जिससे बड़े वाहनों के आ जाने पर पास लेने में काफी दिक्कत होती है। ऐसे में बाजार की यातायात व्यवस्था रेंगना शुुरु कर देती है। सुबह से शुरू होने वाला यह सिलासिला लगभग पूरे दिन चलता है। पड़ोसी जिले और राज्य से भी सैकड़ों लोग बनारस उसी रास्ते से आते है। जिनमें ज्यादातर वो लोग होते हैं जिन्हें ट्रामा सेंटर में इलाज करवाना होता है। लेकिन आगंतुक लोग भी इस अतिक्रमण से उतपन्न जाम के झाम में फंसकर दुर्व्यवस्थाओं को कोसते हैं। स्थानीय प्रशासन की शिथिलता से अतिक्रमणकारियों का मन सातवें आसमान पर है। रामनगर में किला से लेकर रामनगर चौराहा एवं मुख्य मार्ग पर अतिक्रमण से लेकर अवैध स्टैंडों का जमावड़ा रहता फिर भी जिम्मेदार आंख पर पट्टी बंधे हुए हैं। रामनगर में जहां एक ओर अवैध स्टैंड लगाने की मनमानी चल रही है, वहीं ठेले खोमचे वाले भी सड़कों पर अपनी दुकान लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

जिससे कि पूरे दिन जाम की समस्या बनी रहती है और आने जाने वाले राहगीरों को भी सड़कों पर चलने में परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है। अतिक्रमण के कारण बाहर से आने वाले यात्रियों और सैलानियों को भी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा हैं। स्थानीय थाना की शिथिलता और खामोशी से लोग और भी ज्यादा नियमों और आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। पुलिस प्रशासन द्वारा सख्ती न बरते जाने के चलते यह समस्या रामनगर के लिए लाइलाज होती जा रही है। अब देखना है कि जिम्मेदार कब रामनगर की सड़कों को अतिक्रमण से कब मुक्त कराती है !

  • समाजसेवी ने उठाया अतिक्रमण हटाने की मांग

समाजसेवी कुलदीप सिंह ने रामनगर की सड़कों और पटरियों से अतिक्रमण हटाने की आवाज उठाई है। कुलदीप ने कहा कि रामनगर भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री  का गृह क्षेत्र भयंकर अतिक्रमण की चपेट में आ गया है। शास्त्री पुल बनने के बाद रामनगर में आवाजाही जबरदस्त बढ गई है। ट्रामा सेंटर जाने वाले विजीटर्स और रोगी एंबुलेंस और बिहार राज्य को जाने वाले यात्रियों की अधिकाय होने की वजह से रामनगर हमेशा से जाम की चपेट में रहता है, पुलिस प्रशासन के प्रयास के बावजूद समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है। सड़क और फुटपाथ अतिक्रमण की चपेटे में है। सामाजिक कार्यकतार्ओं के प्रयास के बावजूद कोई सुनने को तैयार नहीं है। अतिक्रमण की वजह से पैदल यात्रियों को भी सड़क पर से ही जाना पड़ता है और छुट्टा पशुओं के आक्रमण के कारण कई नागरिक मौत के मूंह में जा चुके और कई गंभीर रुप से चोटिल हुए हैं। कुलदीप ने प्रशासन से मांग किया है कि इस पर कार्रवाई कर आम नागरिकों की सुरक्षा और उनके मानवाधिकारों की रक्षा करें।