चायनीज मंझे से यारी , कही पड़ न जाये भारी
वाराणसी(रणभेरी): कल नव वर्ष है। उसके अगले कुछ दिनों में साल का पहला त्योहार मकर संक्रांति आने वाला है। नए साल की खुशियां मनाने के बाद लोग मकर संक्रांति की इन्तेजार में होंगे। मकर संक्रांति के पर्व पर बच्चों के साथ युवाओं में भी पतंग उड़ाने का शौक वर्षों से चला आ रहा है। मगर यही शौक विगत कुछ वर्षों से अब घातक सिद्ध होने लगा है। जबसे चाइनीज मंझे ने बाजार में अपना पांव पसारा तबसे दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगी है। चायनीज मंझा देशी मंझे के मुकाबले सस्ता एवं ब्लेड की धार की तरह मजबूत होता है। यही वजह है कि पतंग उड़ाने के शौकीन बच्चों के लिए यह मंझा पसंदीदा बन गया है।
पतंग उड़ाने के शौख में ये बच्चे इससे होनी वाली खतरों से अंजान होते हैं। यही वजह है कि न्यायालय ने चायनीज मंझो की बिक्री व उपयोग पर रोक लगा दी है। रोक के बावजूद भी दुकानदार चायनीज मंझो को चोरी-छिपे बेच रहे हैं। चायनीज मंझो के इस्तेमाल से पहले भी कई लोगों घायल हो चुके है जबकि यह जानलेवा कातिल मंझा कई लोगों की जान भी ले चुका है। चायनीज मंझो से होने वाली खतरों को देखते हुए कई सामाजिक संस्था भी इसका उपयोग नहीं करने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे है। अपने कीमती जीवन को महत्व देते हुए यह बेहतर होगा कि इन चायनीज मंझो का इस्तेमाल नहीं कर अपने और अपने आस पास के लोगों को सुरक्षित रखें।
बहनों ने भाईयों से की अपील, चायनीज मंझे का करें बहिष्कार
भाई की कलाई पर रक्षा के धागे बांधकर भाई की रक्षा का संकल्प लेने वाली बहनों ने अपने भाइयों को चाइनीज मंझे का इस्तेमाल ना करने के लिए जागरूक करने का संकल्प लिया और सामूहिक रूप से भाइयों से अपील किया कि पतंग उड़ाने के शौक को जानलेवा ना बनाएं। सामाजिक संस्था सुबह-ए-बनारस क्लब के बैनर तले हरिश्चंद्र बालिका इंटरमीडिएट कॉलेज की छात्राओं ने हाथ मे पतंग व बैनर लेकर चाइनीज मंझे के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल, समाजसेवी डॉ अशोक कुमार राय, महासचिव राजन सोनी व कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ प्रियंका तिवारी ने कहा कि चाइनीज मंझे से अब तक कई लोगों की जाने जा चुकी है और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं, पर इसके बावजूद भी चायनीज मंझे से पतंग की ऊंची उड़ान भरने वालों ने सबक नहीं सीखा। संस्था के सदस्यों ने कहा कि प्रशासन चाइनीज मंझे की बिक्री पर यदि कड़ाई से रोक लगा दे, तो कई लोग काल के गाल में समाने से बच सकते हैं। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि चाइनीज मंझे के लिए सिर्फ पुलिस और प्रशासन की ही जिम्मेदार नहीं है. बल्कि हमारी और आपकी भी है।
प्रतिबंधित चाइनीज मंझे का चोरी-छिपे बेचने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्त से सख्त कार्रवाई करें। पतंग उड़ाने वाले सभी बच्चों और भाइयों से अपील है कि वह चाइनीज मंझे का इस्तेमाल ना करके देसी मंझे का इस्तेमाल करें, ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। इस दौरान मुख्य रुप से अध्यक्ष मुकेश जायसवाल, डॉ अशोक कुमार राय, प्रधानाचार्या डॉ प्रियंका तिवारी, उपाध्यक्ष अनिल केसरी, प्रदीप गुप्ता,डॉ मनोज यादव, सहित कई छात्राएं शामिल रही।
कैसे तैयार होता है यह कातिल चायनीज मांझा
चायनीज मांझा सस्ता होने की वजह से ज्यादा लोकप्रिय है। इससे बनाने के लिए प्लास्टिक व शीशे का प्रयोग किया जाता है। प्लास्टिक के धागे को लकड़ी के खंबे में बांधकर उसमें शीशे की कोटींग की जाती है। इससे यह इतना धारदार हो जाता है की अगर किसी की गर्दन में इसे लपेटकर तेजी से खींच दिया जाए तो उसकी गर्दन कट सकती। अक्सर देखा जाता है कि चाइनीज मांझे से पतंग उड़ाने वालों लोगों की अंगुलियां जख्मी हो जाती हैं।