Chhath Puja 2021:आज डूबते सूर्य को दिया जायेगा अर्घ्य,वाराणसी में घाट पर जुटेंगी व्रती महिलाएं
वाराणसी (रणभेरी): छठ महापर्व का आज तीसरा दिन और खास दिन है, आज शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इसके अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस पर्व का समापन हो जाएगा। इन दोनों ही दिनों में सूर्यदेव की पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है। सूर्य पंचदेवों में से एक हैं और रोज सुबह सूर्य को अर्घ्य देने से धर्म लाभ के साथ ही सेहत को भी लाभ मिलते है। ज्योतिष के अनुसार छठ पर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव के 12 नामों का जाप किया जाए, तो सूर्य देव की तरह ही जातकों की किस्मत भी चमक उठेगी।
काशी के 84 घाटों और अन्य घाटों पर 5 लाख से ज्यादा व्रती महिलाएं पूजा पाठ करेंगी। प्रयागराज, गोरखपुर और लखनऊ में भी तैयारियां पूरी हैं। सुरक्षा के लिए घाटों से लेकर शहर के भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में भारी पुलिस फोर्स तैनात है।संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। इस साल इसकी शुरुआत 8 नवंबर से हुई है और आज यानी 10 नवंबर को इसका तीसरा दिन है। नहाय खाय के साथ शुरू होने वाला यह महापर्व चार दिनों का होता है। समापन सप्तमी को सुबह भगवान सूर्य के अर्घ्य के साथ होता है।
आज व्रत महिलाएं डूबते सूर्य को देंगी अर्घ्य
निर्जला व्रत रखकर छठ पूजा करने वाले छठ व्रतियों के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। महापर्व के दूसरे दिन मंगलवार को छठी माता को खरना प्रसाद का भोग लगा। व्रतियों के घर खरना प्रसाद लेने के लिए लोग पहुंचे। देर रात तक व्रतियों के घर खीर का प्रसाद लेने के लिए लोगों के पहुंचने का सिलसिला चलता रहा। इसके बाद आज छठ व्रती डूबते सूर्य को गेहूं के आटे और गुड़, शक्कर से बने ठेकुए और चावल से बने भुसबा, गन्ना, नारियल, केला, हल्दी, सेब, फल-फूल हाथों में लेकर नदी और तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देंगी।
इसमें शुद्धता और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है।काशी बिहार से सटे होने के कारण यहां बिहार के भी लोग अधिक संख्या में रहते हैं। पढ़ाई के साथ ही नौकरी करने वालों की संख्या यहां काफी है। यही कारण है कि छठ महापर्व में काशी के घाटों पर बिहार के लोग भी पहुंचते हैं। यहां विधिवत पूजा अर्चना कर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं।काशी बिहार से सटे होने के कारण यहां बिहार के भी लोग अधिक संख्या में रहते हैं। पढ़ाई के साथ ही नौकरी करने वालों की संख्या यहां काफी है। यही कारण है कि छठ महापर्व में काशी के घाटों पर बिहार के लोग भी पहुंचते हैं। यहां विधिवत पूजा अर्चना कर भगवान सूर्य की उपासना करते हैं।