युवती से दुष्‍कर्म मामले में बसपा सांसद अतुल राय बरी, 2019 से चल रहा था केस

युवती से दुष्‍कर्म मामले में बसपा सांसद अतुल राय बरी, 2019 से चल रहा था केस

(रणभेरी): दुष्कर्म मामले में आरोपी मऊ जिले के घोसी से बसपा सांसद अतुल राय को  बरी कर दिया गया है। वाराणसी की विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट ने शनिवार को  सियाराम चौरसिया की कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। हालांकि अतुल राय अभी जेल से बाहर नहीं आएंगे। बसपा सांसद के अधिवक्ता ने बताया कि अभी लखनऊ में एक मामला और दर्ज है। उसमें जमानत के बाद ही रिहाई हो पाएगी। मुकदमे में सुनवाई के बाद शनिवार को वाराणसी कचहरी परिसर के बाहर अतुल राय समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। अतुल राय के खिलाफ 2019 से यह दुष्‍कर्म का मामला चल रहा था। वह करीब 36 महीने से नैनी जेल में बंद हैं। इस मामले की जांच में लापरवाही के आरोप में एक डिप्टी एसपी जेल में हैं और आईपीएस अमित पाठक को मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया गया था।

बीते साल 16 अगस्त को अतुल राय पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली युवती ने अपने मित्र के साथ सुप्रीम कोर्ट के सामने आत्मदाह कर लिया था। उपचार के दौरान युवक की 21 और युवती की 24 अगस्त को मौत हो गई थी।दोनों ने कोर्ट के बाहर फेसबुक पर लाइव वीडियो शेयर करते हुए आत्मघाती कदम उठाया था। लाइव वीडियो में पीड़िता और उसके साथी ने वाराणसी पुलिस के तत्कालीन अफसरों और न्याय व्यवस्था को कोसते हुए यह कदम उठाया था।वाराणसी के एक कॉलेज की पूर्व छात्रा व मूल रूप से बलिया की रहने वाली युवती ने बसपा सांसद अतुल राय पर एक मई 2019 को लंका थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें गवाह के तौर पर गाजीपुर के भंवरकोल निवासी एक युवक था।  

लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 22 जून 2019 को अतुल राय ने वाराणसी की कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। तब से वह जेल में ही हैं। मौजूदा समय में वह प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। कभी माफिया मुख्तार अंसारी के बेहद करीबी रहे अतुल राय पर कुल 27 आपराधिक मुकदमे दर्ज है। 2009 में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही अतुल राय का झुकाव जरायम और सियासत की ओर हुआ और वह मऊ सदर के पूर्व विधायक माफिया मुख्तार अंसारी से जुड़ गया। इसके बाद वह फिर कभी पीछे नहीं देखा।


सांसद अतुल राय पर दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराने वाली पीड़िता और उसके गवाह साथी ने पुलिस पर एक पक्षीय कार्रवाई का आरोप लगाते हुए 16 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह किया था। दुष्कर्म पीड़िता को आत्महत्या के लिए उकसाने मामले में पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में भेलूपुर के पूर्व सीओ अमरेश सिंह बघेल को भी 30 सिंतबर को बराबंकी से गिरफ्तार किया गया था। बघेल अब भी जिला जेल चौकाघाट में बंद है। वहीं, बनारस के तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक, तत्कालीन एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी पर शासन स्तर से कार्रवाई हुई थी और कैंट इंस्पेक्टर राकेश सिंह व दरोगा गिरजा शंकर सिंह यादव को पुलिस आयुक्त ने निलंबित करते हुए जांच बैठा दी थी। गाजीपुर, बलिया और बनारस तक इस घटना से लोगों में उबाल था।