ब्रिटेन के ‘किंग चार्ल्स और उनकी पत्नी कैमिला बनेंगे राजा और रानी, पहली बार रानी पहनेंगी बिना कोहिनूर जड़ा ताज
वाराणसी (रणभेरी): ‘किंग चार्ल्स और उनकी पत्नी कैमिला औपचारिक रूप से आज ब्रिटेन के राजा और रानी बनेंगे। राज्याभिषेक का आयोजन लंदन के ऐतिहासिक शाही गिरजाघर वेस्टमिंस्टर एबे में होगा।इस समारोह में किंग चार्ल्स उनकी पत्नी महारानी कैमिला की ताजपोशी होगी।इस बार ताजपोशी की प्रक्रिया परंपरा से हटकर होगी। क्वीन ने अपने ताज में कोहिनूर हीरा नहीं पहनने का फैसला किया है। ब्रिटिश मीडिया का ये भी कहना है कि ये फैसला राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए उठाया गया है। क्वीन विक्टोरिया ने सबसे पहली बार कोहिनूर को अपने मुकुट में जड़वा कर पहना था। 1901 में क्वीन विक्टोरिया की मृत्यु के बाद क्वीन कॉन्सोर्ट मैरी ने कोहिनूर जड़ा ताज अपने सिर पर पहना। उनके बाद महारानी अलेक्जैंड्रा ने इसे अपने ताज में जड़वाया। 1953 में एलिजाबेथ द्वितीय ने कोहिनूर को अपने ताज में जड़वाया और ताज सिर पर पहना। एलिजाबेथ द्वितीय पिछले साल तक ब्रिटेन की महारानी थीं. माना ये जाता है कि यह हीरा पुरुषों के सौभाग्यशाली नहीं है। इसलिए इसे हमेशा औरतों ने ही पहना है। इस समारोह में कई देशों से दिग्गज नेता पहुंचेंगे। इस भव्य समारोह में सबकी नजर विशेष तरह के मुकुट पर होगा जसे किंग चार्ल्स (King Charles) और उनकी महारानी कैमिला पहनेंगी।
अपने राज्याभिषेक में किंग चार्ल्स और महारानी कैमिला 362 साल पुराने मुकुट पहन दरबार की शोभा बढ़ाएंगे। इस मुकुट को एडवर्ड क्राउन कहा जाता है। इस मुकुट की खासियत जान आप हैरान रह जाएंगे। यह मुकुट 326 करोड़ रुपये की लागत से बना है। हालांकि, महारानी इस बार कोहिनूर जड़ा मुकुट नहीं पहनेंगी। इस मुकुट को 1661 में बनाया गया था। रॉयल कलेक्शन की रिपोर्ट के मुताबिक इस मुकुट का वजन लगभग 2 किलोग्राम है। शुद्ध सोने से बने मुकुट को माणिक और नीलम से सजाया गया है। इसकी कीमत लगभग 40 मिलियन डॉलर आंकी गई है। इस ताज का नाम इंग्लैंड के अंतिम एंग्लो-सैक्शन राजा सेंड एडवर्ड के नाम पर रखा गया है।
14वीं शताब्दि के सिंहासन पर बैठेंगे महाराजा-महारानी अपने राज्याभिषेक में किंग चार्ल्स (king Charles) और महारानी कैमिला 14वीं शताब्दि के सिंहासन पर बैठेंगे। 70 वर्षों के बाद आधुनिक ब्रिटेन राजशाही के 700 साल पुराने रिति-रिवाज को फिर देखने वाला है। ये सिंहासन बेहद खास है। इसे साल 1300 में बनाया गया था। 1626 के बाद ब्रिटेन में जितने भी राजा या रानी हुए हैं, उन्हें ताजपोशी के बाद इसी सिंहासन पर बिठाया गया है। इस ताज की सबसे खास बात ये है कि इसे बनाने में 2868 हीरों का इस्तेमाल किया गया है। इस बार महाराजा-महारानी के समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति भी पहुंचे हैं।