बीएचयू में भ्रष्ट और संवेदन शून्य सिस्टम का जिम्मेदार कौन !
*आमरण अनशन पर बैठे कॉर्डियोलॉजिस्ट के समर्थन में आए विश्वविद्यालय के छात्र
*सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में मरीजों को बेड उपलब्ध कराने के लिए पांच दिनों से अनशनरत है एक डॉक्टर, अंधे और बहरे बने बीएचयू के जिम्मेदार
वाराणसी (रणभेरी)। पंडित मदन मोहन मालवीय ने एक दूरदर्शी सोच के साथ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। उनका सपना साकार भी हुआ। इस विश्वविद्यालय ने कई विभूतियों को जन्म दिया। लेकिन बीएचयू के मौजूदा हालात देखकर यह लगता है कि जिनको विश्वविद्यालय के संरक्षण की जिम्मेदारी दी गई है वो मालवीय जी के सपनों को चकनाचूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। समय समय बीएचयू में व्याप्त भ्रष्टाचार की खबरें आती है उससे यही लगता है कि जिम्मेदारों को सिर्फ अपने जेब भरने से मतलब है न कि मालवीय जी के मूल्यों पर चलकर उनके सपने को मूर्त रूप देकर गति प्रदान करने की। ताजा मामला बीएचयू के सर सुंदर अस्पताल से जुड़ा है जहां कार्डियोलॉजिस्ट विभाग के अध्यक्ष, प्रोफेसर ओम शंकर हृदय रोग विभाग में पिछले पांच दिनों से आमरण अनशन पर बैठे हैं। पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सर सुंदर लाल चिकित्सालय (बीएचयू) में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्डियोलॉजी के विभागाध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने 11 मई से आमरण अनशन इस लिए शुरू किया है ताकि दूर दूर से बीएचयू अस्पताल में ईलाज करवाने के लिए आने वाले मरीजों को बेड उपलब्ध हो सके। उनका सीधा आरोप है कि बीएचयू आईएमएस में तैनात चिकित्सा अधीक्षक ने गरीब मरीजों को मिलने वाले बेड पर डिजिटल लॉक लगा रखा है, जिससे लगभग हजारों मरीजों को बेड के अभाव में भर्ती नहीं किया जा पा रहा है जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। अंतत: हृदय रोग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने डिजिटल लॉक खुलवाने के लिए कुलपति लगायत पीएमओ तक पत्र लिखा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आमरण अनशन के दौरान प्रो. ओमशंकर ने कहा कि पूर्वांचल का एकमात्र बीएचयू अस्पताल जिसपर बनारस सहित आसपास के कई जिलों के लोगों को इलाज की सहूलियत मिल सकती है। लेकिन विगत कई वर्षों से यह परिसर भ्रष्टाचार की गिरफ्त में है। यहां तैनात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने हृदय रोगियों को मिलने वाले बेड पर डिजिटल लॉक लगा दिया है, जिस कारण लगभग 35 हजार मरीजों को इलाज के अभाव में वापस किया गया। कई मरीजों को मृत्यु हो गई है लेकिन बीएचयू चिकित्सा अधीक्षक इन समस्याओं से दूर बीएचयू में भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं। जिसे बार- बार शिकायत के बाद कुलपति द्वारा भी सरंक्षण दिया जा रहा है।
यह है डॉ. ओमशंकर का आरोप
अनशनरत डॉ. ओमशंकर का आरोप है कि पिछले 2 सालों से ज्यादा समय से 35000 से ज्यादा हृदय रोगियों को अस्पताल में बेड खाली रहते हुए भी उनको बिस्तर नहीं मिला है। जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई है। ये बिस्तर गरीब लोगों के लिए सुपर स्पेशलिस्टी विंग में हमारे सासंद व प्रधानमंत्री ने बनवाएं थे, ओमशंकर ने विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट प्रो. केके गुप्ता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, लगातार 2 साल से ज्यादा समय से हमने सभी अधिकारियों को जिनकी इसमें भूमिका होनी चाहिए, न्याय दिलाने में उनसे गुहार लगाई जो कि नाकाम साबित हुई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि, इन सब के पीछे जो मूल व्यक्ति हैं वह है एक चिकित्सा अधीक्षक जो सत्यापित तौर पर ब्लड बैंक के भ्रष्टाचार के अपराधी हैं और उनको बार-बार प्रमोट करके चिकित्सा अधीक्षक फिर से बना दिया जा रहा है। इस संस्थान के अंदर जो महामना के मूल्य और आदर्श स्थापित है उन मूल्यों और आदर्शों पर स्थापित महामना के इस विश्वविद्यालय के नींव को हिलाने की कोशिश की जा रही है। इसी को बचाने के लिए हम आंदोलन कर रहे है।
एनएसयूआई और प्रोफेसरों ने भी दिया समर्थन
आल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस और एनएसयूआई के भी सदस्यों ने प्रोफेसर ओमशंकर को अपना समर्थन दिया। इसमें बीएचयू के कई सीनियर प्रोफेसर और छात्र भी थे। प्रोफेसर ओम शंकर के चेंबर में जाकर चार सूत्री मांगें भी रखी। साथ ही 100 छात्रों और प्रोफेसरों ने हस्ताक्षर करके अपना समर्थन दिया। छात्रों ने कहा कि कार्डियोलॉजी विभाग के सुपर स्पेश्यालिटी ब्लॉक में लॉक पड़े 50 बेड को मरीजों को देने की व्यवस्था लागू करें। आईएमएस बीएचय के डायरेक्टर के आदेश को माना जाए। इससे गरीब लोगों का अच्छे से इलाज हो सकेगा।
106 घंटे से बैठे हैं भूख हड़ताल पर
पिछले करीब 106 घंटे से प्रोफेसर केवल नींबू-पानी पर ही चल रहे हैं। प्रो. ओम शंकर का स्वास्थ्य दिनों दिन गिरता चला जा रहा है। उनका वजन भी 10 किलोग्राम तक घट गया है। वहीं, डॉक्टर से मिलने के लिए विपक्ष के नेताओं से लेकर कई सामाजिक कार्यकतार्ओं का उनके चेंबर में हुजूम उमड़ा है। प्रो. ओम शंकर वहीं अपने चेंबर में ही जमीन पर बैठकर ओपीडी चला रहे। मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
पांच किलो घटा वजन
बता दें कि, प्रोफेसर ओमशंकर का बीते चार दिनों में वजन पांच किलो कम हुआ है, मंगलवार को अस्पताल की एक टीम उनकी सेहत की जांच करने पहुंची थी। इस दौरान उनका वजन 88.4 किलो बताया, वहीं बीपी भी घट गया है।
शंकर की ओर से लगाए जा रहे सारे आरोप बेबुनियाद है। वो सिर्फ पब्लिसिटी के लिए ये सब कर रहे हैं। आखिर क्या वजह है कि उन्हें चुनाव या जब कोई बड़ा नेता शहर में आता है तब ही इस बेड की याद आती है।
-प्रो. केके गुप्ता, एमएस, एसएस अस्पताल, बीएचयू