बीएचयू: पूर्व विभागाध्यक्ष ने ही रची हत्या की साजिश, तेलुगु विभागाध्यक्ष को रास्ते से हटाने के लिए दी सुपारी, दो गिरफ्तार; सात की तलाश

वाराणसी (रणभेरी): बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हैरान करने वाला मोड़ ले लिया है। तेलुगु विभाग के वर्तमान अध्यक्ष प्रो. सीएस रामचंद्र मूर्ति पर जानलेवा हमले की साजिश उसी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. बूदाटी वेंकटेश्वर लू ने रची थी। पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि सात आरोपी अब भी फरार हैं।
डीसीपी क्राइम सरवणन टी. ने बताया कि वेंकटेश्वर ने नाराजगी और अपने करीबी को बीएचयू में प्रोफेसर बनवाने की चाहत में यह साजिश रची। तेलंगाना निवासी पूर्व शोध छात्र बूतपुर भाष्कर उर्फ बी. भास्कर और प्रयागराज के प्रमोद कुमार उर्फ गणेश पासी को गिरफ्तार किया गया है।
भाष्कर ने कबूल किया कि मई में वेंकटेश्वर ने उसे वाराणसी बुलाकर योजना बताई थी। 25 जुलाई को वह कासिम बाबू के साथ विमान से वाराणसी पहुंचा और लंका क्षेत्र के एक होटल में ठहरा। प्रमोद कुमार ने स्थानीय युवकों को जोड़कर 28 जुलाई को विभागाध्यक्ष पर हमला कराया।
मामले में तेलंगाना के नारायणपेट उत्तकूर के अवसोनोपल्ली निवासी बूतपुर भाष्कर उर्फ बी भास्कर, नारायणपेट गार्ड्स कैंप के मकतल निवासी मोहम्मद कासिम, मैसूर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर कासिम बाबू, गाजीपुर के साजियाबाद के चोटीचौरा निवासी सूरज दूबे, करंडा का प्रदुम्मन यादव, दुल्लहपुर का विशाल यादव, जौनपुर के बख्शा थाना क्षेत्र के सुनगुलपुर निवासी वेदांत भूषण मिश्रा को आरोपी बनाया गया है।
तेलंगाना से गिरफ्तार बी भास्कर ने पुलिस को बताया कि 2016 में वेंकटेश्वर के संपर्क में आया था। उस समय वह आंध्र प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। एक साल काम करने के बाद वह बीएचयू आ गए। वर्ष 2016 से 2018 तक मैंने आंध्र विवि से पीजी किया था इसलिए एक दूसरे के संपर्क में रहते थे। वेंकटेश्वर ने मई में वाराणसी बुलाया था। करीब एक सप्ताह तक उनके पास रुका था। इसी दौरान मैसूर विश्वविद्यालय में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर कासिम बाबू से वाराणसी में मुलाकात हुई थी। तभी बताया गया था प्रो. सीएस रामचन्द्र मूर्ति को रास्ते से हटाना है।
डीसीपी क्राइम के अनुसार वी. भाष्कर ने पुलिस को बताया कि कासिम बाबू के साथ 25 जुलाई को प्रो. मूर्ति को जान से मारने के लिए विमान से आए और लंका क्षेत्र के एक होटल में ठहरे। यहीं प्रमोद कुमार मिला। प्रमोद ने आसपास के युवकों को बुलाकर 28 जुलाई को विभागाध्यक्ष पर हमला करने में मदद की थी।
पुलिस की मुठभेड़ में गिरफ्तार प्रयागराज के मेजा थाना क्षेत्र के सिरसा रामनगर निवासी प्रमोद कुमार उर्फ गणेश पासी ने पुलिस को बताया कि वह भोपाल में एक होटल में मैनेजर था जहां अक्सर तेलंगाना का मो. कासिम अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आता था। कासिम ने कहा था कि विभागाध्यक्ष को जान से मारना है। इसके बाद गाजीपुर के सादियाबाद थाना क्षेत्र के चोटी चौरा निवासी सूरज दूबे को 48 हजार रुपये दिलवाए थे।
इस हमले में प्रो मूर्ति गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने बताया था कि विभागाध्यक्ष के दोनों हाथ टूटे थे। स्टील के रॉड से हमले में उन्हें गंभीर चोटें लगी थीं।
बीएचयू में विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति का विवाद नया नहीं है। अब मामला विभागाध्यक्ष को ठिकाने लगाने और उनकी हत्या के लिए सुपारी देने तक पहुंच गया। इससे पहले भी विभागाध्यक्ष की तैनाती पर विवाद हुए हैं। प्रस्तुत है रिपोर्ट...
पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष प्रो. शोभना नार्लीकर 2021 में सेंट्रल ऑफिस में धरने पर बैठीं। आरोप लगाया कि मातृत्व अवकाश की आड़ में उनकी सर्विस बुक में हेरफेर कर उनका प्रमोशन रोका गया। उनकी उपस्थिति कम कर दी गई। हालांकि 2022 तक लगातार धरने और प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद विभागाध्यक्ष बनीं।
ह्रदय रोग विभाग के प्रो. ओमशंकर ने 11 मई 2024 को अपने चेंबर में ही आमरण अनशन शुरू किया। मरीजों को देखते रहे। धरने के 14वें दिन उन्हें विभागाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। उनकी जगह पर प्रो. विकास अग्रवाल को जिम्मेदारी दी गई। प्रो. ओमशंकर ने आदेश को खारिज कर चेंबर में बने रहने की घोषणा की। पूरे अनशन के दौरान उन्होंने मरीज को देखने के साथ ही परामर्श सहित अन्य सेवाएं भी दी। 55 दिन के बाद प्रो. ओमशंकर के पक्ष में फैसला आया और विभागाध्यक्ष बनाए गए।
प्राचीन इतिहास, संस्कृति और पुरातत्व विभाग में अप्रैल में प्रो. एमपी अहिरवार को विभागाध्यक्ष बनाया जाना था लेकिन कला संकाय की डीन को अतिरिक्त कार्यभार दे दिया गया। इस पर प्रो. एमपी अहिरवार और उनके समर्थकों का दल धरने पर उतर आया और सेंट्रल ऑफिस के बाहर जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया।
बीएचयू में कार्डियो थोरेसिक सीटीवीएस के विभागाध्यक्ष प्रो. सिद्धार्थ लखोटिया ने 27 मार्च को इस्तीफा दे दिया था। कार्डियोथोरेसिक विभाग के दो प्रोफेसरों पर ही परेशान करने का आरोप लगाया। कहा था कि अस्पताल पूरी तरह से दबंगों का सिंडिकेट बन गया है। अब तक देश विदेश के 14 अस्पतालों में काम किया लेकिन कहीं भी इतनी राजनीति और भ्रष्टाचार नहीं है। मुझे सुरक्षा चाहिए, इसलिए इस्तीफा दे रहा। हालांकि, बीएचयू की ओर से प्रो. लखौटिया का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया।