पांच हजार दीजिए, तीन घंटे में मिल जाएगा आयुष्मान कार्ड- जमकर हो रही धंधेबाजी

पांच हजार दीजिए, तीन घंटे में मिल जाएगा आयुष्मान कार्ड- जमकर हो रही धंधेबाजी

गोरखपुर। जिले में करीब नौ लाख आयुष्मान कार्डधारक हैं। इन कार्ड धारकों को पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा मिलती है। करीब ढाई सौ निजी अस्पताल आयुष्मान कार्डधारकों को इलाज की सुविधा देते हैं। इनमें से कई अस्पताल तो ऐसे हैं जो केवल आयुष्मान कार्डधारकों के भरोसे ही चल रहे हैं। आयुष्मान कार्डधारकों के लिए आपरेशन समेत महंगे इलाज का खर्च सरकार वहन करती है। आयुष्मान कार्ड के लिए मानक भी तय हैं और इसके लिए सूची भी बनी है। लेकिन इसमें भी अब धंधेबाजी शुरू हो गई है। सरकारी अस्पताल में घूम रहे निजी अस्पतालों के दलाल पांच हजार रुपये में दो से तीन घंटे में आयुष्मान कार्ड बनाकर दे दे रहे हैं। कार्ड एक्टिवेट होने के 12 घंटे बाद उपकरण की खरीद होगी और अगले पांच दिन बाद वह निरस्त भी हो जाएगा। एक्स-रे कक्ष के आसपास मंडराने वाले दलाल यहां से मरीज को सीधे पहले से तय निजी अस्पताल ले जाते हैं। वहां इलाज का खर्च वाजिब से डेढ़ गुना अधिक लिया जाता है। जिले में करीब नौ लाख आयुष्मान कार्डधारक हैं। इन कार्डधारकों को पांच लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा मिलती है। करीब ढाई सौ निजी अस्पताल आयुष्मान कार्डधारकों को इलाज की सुविधा देते हैं। इनमें से कई अस्पताल तो ऐसे हैं जो केवल आयुष्मान कार्डधारकों के भरोसे ही चल रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के एक्सरे और अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर निजी अस्पतालों के दलाल घूमते रहते हैं। वह जैसे ही किसी मरीज को गंभीर अवस्था में देखते हैं तो वहां खुद ही किसी मरीज का तीमारदार बनकर बातचीत करने लगते हैं। बातों-बातों में बीमार और डॉक्टर आदि का नाम पूछने के बाद उसे सरकारी खर्च पर ही निजी अस्पतालों में बेहतर इलाज का भरोसा दिलाते हैं। अगर मरीज के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है, तो उसे सिर्फ 5000 रुपये में ही आयुष्मान कार्ड भी मिल जाएगा।

दूसरे के नाम का ही होता है कार्ड
फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने का यह खेल एक खास सॉफ्टवेयर के चलते हो रहा है। एक जानकार ने बताया कि जिस मरीज के नाम पर कार्ड बनाना होता है, अगर उसका नाम सूची में नहीं है, उसके नाम के ही किसी दूसरे लाभार्थी के कार्ड को स्कैन कर नया कार्ड बना दिया जाता है। कार्ड बनने के 12 घंटे बाद ही उससे खरीदारी हो सकती है। इसलिए कार्ड तभी बनाया जाता है, जब मरीज संबंधित अस्पताल में भर्ती हो जाता है। उपकरणों की खरीद व आपरेशन के बाद इसे निरस्त भी कर दिया जाता है। आम तौर पर यह कार्ड पांच से सात दिन ही सक्रिय रहता है। इसके बाद इसे निरस्त कर दिया जाता है। सीएमओ डॉ आशुतोष दुबे ने बताया कि इस तरह की कोई लिखित शिकायत मेरे पास आज तक नहीं आई है। किसी ने मनगढंत कहानी बताई होगी। अगर कोई इससे प्रभावित है तो वह लिखित शिकायत व साक्ष्य प्रस्तुत करे, जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई  की जाएगी। आयुष्मान कार्ड से मरीजों को उपचार में काफी मदद मिलती है।