काशी में बड़ी शीतला माता का हुआ वार्षिक श्रृंगार, 11 किलो कपूर से हुई मंगला आरती, पहली निशा पर गंगा किनारे गूंजा भक्तिगीत

 काशी में बड़ी शीतला माता का हुआ वार्षिक श्रृंगार, 11 किलो कपूर से हुई मंगला आरती, पहली निशा पर गंगा किनारे गूंजा भक्तिगीत

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी के दशाश्वमेध घाट स्थित सप्तमात्रिका सिद्धपीठ बड़ी शीतला माता के धाम में पांच दिवसीय संगीत समारोह की शुरूआत हुई। रात्रि चतुर्दशी तिथि को माँ शीतला का विशेष श्रृंगार पं. अविनाश पाण्डेय ‘सुट्टु गुरु’ द्वारा गंगाजल, गुलाब जल और पंचामृत से स्नान कराकर, चंदन लेपन व नूतन वस्त्राभूषण से किया गया। भव्य श्रृंगार के उपरांत माँ को फल, मिष्ठान, गुलगुला, हलवा, पूरी, चना, बतासा, दही आदि से सुसज्जित थालों द्वारा भोग अर्पित किया गया। इस पावन अवसर पर शीतला दल, कसेरा समाज, मांझी समाज, स्वर्णकार समाज, व्यापारी समाज, यादव समाज समेत विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा शोभायात्रा एवं बधावा जुलूस के साथ माँ को प्रसाद समर्पित किया गया।

रात्रि 2:30 बजे महंत परिवार ने गंगा स्नान और पूजन के उपरांत मंदिर में प्रवेश कर राष्ट्र की सुख-शांति एवं कल्याण की कामना की। माँ शीतला की भव्य विराट आरती महंत पं. शिव प्रसाद पाण्डेय द्वारा 11 किलो कपूर एवं सैकड़ों घी के दीपों के साथ डमरू, चँवर, घंटा, घड़ियाल एवं शंख की गूंज के बीच संपन्न हुई। सायंकाल से प्रारंभ हुए संगीत समारोह में शहनाई वादन के साथ महेंद्र प्रसन्ना व उनके साथियों ने पचरा प्रस्तुत कर समां बांध दिया। लोकगायिका शैलबाला ने "किसने सजाया है तुझको मैया...", ज्योति माही ने "तू ना सुनेगी तो कौन सुनेगा...", "अइली दुवरिया शीतला मयरिया..." जैसे सुमधुर पचरा गीतों से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

दिव्या दुबे ने "तेरा दर तो हकीकत में खुशियों का खजाना है...", सनी मिश्रा ने "तूने मुझे बुलाया शेरावालिए...", तथा स्नेहा अवस्थी ने "मैंने ऐसा दरबार नहीं देखा..." जैसे भक्ति गीतों से रात भर श्रद्धालुओं को भक्तिरस में डुबोए रखा। अन्य कलाकारों में शुभांगिनी ने देवी गीत तथा कौशिकी ने भाव नृत्य प्रस्तुत कर कार्यक्रम को भव्यता प्रदान की। संगीत संगत में तबले पर मोती शर्मा, बैंजो पर जियाराम व संजय, ढोलक पर विशाल व नसीम, पैड पर प्रद्युम्न, तथा कीबोर्ड पर नीरज पाण्डेय ने उत्कृष्ट सहयोग किया।