करौली डायग्नोस्टिक के सभी सेंटरों पर अल्ट्रासाउंड,सी.टी.स्कैन सहित एम.आर.आई की जांच के लिए लग गयी रोक ..
- प्रदेश सरकार के विशेष सचिव एवं महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के निर्देश के अनुपालन में के अनुपालन में मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने लगाया रोक
- करौली डायग्नोस्टिक कैलादेवी हेल्थकेयर सर्विसेज प्रा.लि. के विरूद्ध विधिक कार्रवाई की की हेतु की गयी संस्तुति
- मिर्जापुर निवासी अजय कुमार उपाध्याय ने मुख्यमंत्री के आई.जी.आर.एस. पोर्टल पर की थी करौली के भ्रष्टाचार की शिकायत
- खबरों के माध्यम से रणभेरी ने पिछले कई माह से निरंतर किया है करौली के कुकर्मों को उजागर
- जिला सलाहकार समिति ने सर्वसम्मति से किया है करौली के सभी केन्द्रों के निलंबन की संस्तुति
- सीएमओ ने माना की करौली लोगों को गुमराह कर देता है गलत जांच रिपोर्ट
- जिस डॉक्टर का जांच रिपोर्ट पर हस्ताक्षर, उसका करौली से नहीं कोई सरोकार
- एक शाखा पूर्व में भी हो चुका है बंद, फिर भी अधिकारियों को गुमराह कर किया जा रहा संचालित
वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। एक बात आपने सुनी होगी की पाप का घड़ा एक न एक दिन जरूर फूटता है। कोई कितना भी झूठ बोल लें, लोगों को गुमराह कर ले लेकिन एक न एक दिन उसके सारे काले कारनामों की पोल जरूर जगजाहिर हो जाती है। हम बात कर रहे है प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कूटरचित तरीके से संचालित हो रहे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर की। आपके अपने अखबार गूंज उठी रणभेरी ने करौली के काले कारनामों के खिलाफ एक मुहिम चलाई थी जिसमें उसके मालिकानों द्वारा फर्जी तरीके से डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन कर कुछ डॉक्टरों की मिलीभगत से मरीजों को गलत रिपोर्ट देकर उनके जान से खेलवाड़ कियाये जाने की बात को उजागर किया गया था। करौली द्वारा जिस डॉक्टर के नाम से जांच रिपोर्ट मरीजों को दी जाती है उस डॉक्टर का करौली से कोई ताल्लुकात है ही नहीं। मरीजों के हित में रणभेरी ने जो मुहिम चलाई उसका यह असर रहा की उत्तर प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने संज्ञान लेकर वाराणसी के सीएमओ को जांच के उपरांत कार्रवाई का आदेश दिया। जब करौली के कारनामों की जांच हुई तो यह तथ्य सामने आया की करौली के मालिकों ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को गुमराह कर वाराणसी के संकटमोचन, मंडुआडीह और मलदहिया में डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन किया जा रहा है। जांच में यह भी पाया गया की जिस अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में डॉ. एस सेंथिल के नाम का जिक्र किया जाता है उस डाक्टर का करौली के किसी शाखा से कोई संबंध नहीं है। तमाम कई कमियां पाए जाने के बाद शासन के आदेश पर नोडल अधिकारी (पी.सी.पी.एन.डी.टी. सेल) वाराणसी के द्वारा जिला सलाहकार समिति के निर्णय के उपरांत करौली/कैलादेवी हेल्थकेयर सर्विसेज प्रा. लि. के विरुद्ध विधिक कार्यवाही हेतु अपर पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) को पत्र दिया गया है। आदेश में यह भी कहा गया है की समस्त तथ्यों को संज्ञान में लेते हुए करौली के समस्त संचालित शाखाओं का निलंबन किया जाता है। आदेश में कहा गया है की करौली के समस्त सेंटर पर पी.सी.पी.एन.डी.टी. से संबंधित समस्त उपकरणों (अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन एवं एमआरआई स्कैन) का संचालन तत्काल प्रभाव से रोका जाय।
रोक के बाद भी जारी है पी.सी.पी.एन.डी.टी. से संबंधित जांच
करौली का संचालक अंशुमान अग्रवाल अपराधिक मानसिकता के साथ-साथ ढीठ प्रवृत्ति का भी है। यही वजह है कि अंशुमान अग्रवाल शासन के आदेश को भी ठेंगे पर रखता है। खुलेआम नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाकर फर्जी तरीके से लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले अंशुमान की हिमाकत यह है कि सीएमओ वाराणसी द्वारा बीते 26 जून को की गयी कार्रवाई के तहत करौली के सभी शाखाओं पर अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन की जांच निलंबित किये जाने का आदेश जारी किये जाने के बावजूद करौली के सभी शाखाओं पर अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एमआरआई की जांच की जा रही है ।
अबतक नहीं दर्ज हुआ मुकदमा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लेकर वाराणसी के सीएमओ तक ने यह माना है करौली कूटरचित तरीकों से अपनी सभी शाखाओं का संचालन कर रहा है। डॉक्टर के नाम का गलत इस्तेमाल कर करौली ने न जाने कितने मरीजों के जिंदगी से खिलवाड़ किया है। सीएमओ वाराणसी ने शासनादेश के बाद कार्रवाई का आदेश भी जारी कर दिया। लेकिन यह विडंबना है की इस मामले में अबतक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है।
जानिए कैसे गुमराह कर संचालित हो रहा करौली
- रिपोर्ट पर किसी शाखा के नाम का जिक्र नहीं
दरअसल करौली जो कैलादेवी हेल्थकेयर प्रा. लि. के नाम से वाराणसी के चार स्थानों पर संचालित होता है उसके मालिकान अंशुमान अग्रवाल और आदित्य अग्रवाल है। ये दोनों भाई इतने धूर्त किस्म के है की अपनी चालबाजी के बदौलत माला-माल हो चुके है। अवैध रूप से कमाए धन को सफेद करने के लिए करौली नाम से डायग्नोस्टिक सेंटर डाला। इसमें भी इन दोनों ने अपने शातिराना दिमाग से खूब लूट की। इसी कमाए पैसों से इसने शहर के अन्य हिस्सों में भी अलग अलग शाखाएं खोल दी।
बीते साल 13 अक्टूबर को नियमों के उलंघन और चिकित्सकों की अनुपस्थिति के कारण करौली की एक शाखा जो सिकरौल में थी, उसे निरस्त कर दिया गया। आलम यह है की निरस्त होने के कुछ दिन बाद से ही यह शाखाएं फिर से संचालित हो होने लगी है। धूर्तबाजी का खेल यहीं नहीं खत्म होता। करौली मरीजों को जिस शाखा से अल्ट्रासाउंड का जांच रिपोर्ट देता है उसपर कहीं भी उस शाखा के नाम का जिक्र नहीं होता है। जांच रिपोर्ट देखकर यह नहीं कहा जा सकता की वह किस शाखा से जारी की गई है।
प्यारी गुड़िया पोर्टल पर पंजीकृत है सिर्फ तीन शाखायें
करौली ने आज भी सरकार और प्रशासन को गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। प्यारी गुड़िया पोर्टल पर सिर्फ तीन शाखाओं (संकटमोचन, मंडुआडीह, मलदहिया) की सूचना उपलब्ध है। जबकि हकीकत में इसके चार शाखाएं संचालित हो रही है। चालबाजी यह है कि , चुकी एक संस्था को शासन द्वारा निरस्त कर दिया है इसलिए सूचना सिर्फ तीन शाखाओं की देते है। जबकि निरस्त होने के बाद भी शिवपुर की शाखा धड़ल्ले से संचालित हो रही है।
मिर्जापुर के पीड़ित की शिकायत पर कार्यवाही
दरअसल, पं. दिनदयाल पुरम, मिर्जापुर निवासी अजय कुमार उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश सरकार के शिकायती पोर्टल आईजीआरएस पर यह शिकायत की थी कि वाराणसी में संचालित हो रहे करौली डायग्नोस्टिक सेंटर की सभी शाखाओं द्वारा जारी अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में डॉ. एस सेंथिल कुमार के नाम का जिक्र फर्जी तरीके से किया जा रहा है। उन्होंने जांच रिपोर्ट की प्रतियां भी संलग्न की। शिकायत का संज्ञान लिया गया और यह पाया गया कि करौली के किसी भी शाखा में डॉ. सेंथिल कुमार के नाम का जिक्र नहीं है। जब इस शिकायत को लेकर डॉ. एस सेंथिल कुमार से बात की गई तो यह पाया गया की वो जुलाई 2019 से लेकर फरवरी 2021 तक ही कार्य किया था, उसके बाद वो देश से बाहर ओमान चले गए। जांच में यह भी पाया गया की किसी शाखा के जांच रिपोर्ट दर्ज उस शाखा का नाम अंकित नहीं है।