जादूगर के जादू से अंधा बना प्रशासन !
कभी भी लग सकती है आग, नोटिस - नोटिस का खेल खेल रहा अग्निशमन विभाग
बेच कर अपना ईमान, कुंभकर्णी नींद में सोए हैं जिम्मेदारान
अनुमति के बाद झांकने तक नहीं गए अधिकारी, नियम कानून को ताक पर रखकर जादूगर दिखा रहा कलाकारी
वाराणसी (रणभेरी सं.)। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में नौकरशाहों की लापरवाही और प्रशासन की असंवेदनशीलता का एक स्पष्ट उदाहरण बनकर उभरा है 'सिकंदर का जादुई तमाशा', जो सिगरा क्षेत्र में 15 नवंबर से चल रहा है। यह शो न केवल असुरक्षित है, बल्कि इसकी अव्यवस्थित व्यवस्था और सुरक्षा मानकों की अनदेखी ने एक गंभीर खतरे को जन्म दिया है। प्रशासन की लापरवाही और नौकरशाही की अनदेखी ने इस आयोजन को संभव बनाया है, जो कि किसी भी समय बड़ा हादसा कर सकता है। शो के आयोजन के लिए जो पंडाल तैयार किया गया है, वह पूरी तरह से कपड़े से बना है। कपड़े की संरचनाएं आग के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं, और यदि यहां आग लग जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है। खासतौर पर इस पंडाल में 2000 से अधिक लोग बैठने की व्यवस्था की गई है, जिनमें महिलाएं और बच्चे प्रमुख रूप से शामिल हैं। अगर किसी कारणवश कोई अप्रिय घटना घटित होती है, तो इसका परिणाम भयावह हो सकता है। पंडाल की जटिलता और आग के खतरे को देखते हुए यह सवाल उठता है कि प्रशासन ने इस शो के आयोजन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र कैसे जारी किया। क्या यह केवल पैसे के लालच या किसी अन्य प्रभाव के कारण हुआ है, या फिर प्रशासन पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी से बचता नजर आ रहा है ?
अग्निशमन विभाग ने कितने में बेचा ईमान !
अग्निशमन विभाग की भूमिका भी इस शो के आयोजन में संदेहास्पद रही है। शो के आयोजन स्थल पर आग से निपटने के लिए कोई दमकल गाड़ी उपलब्ध नहीं है। आगजनी की स्थिति में आपातकालीन सेवाओं की अनुपस्थिति इस बात का संकेत है कि प्रशासन की सुरक्षा को लेकर गंभीर चूक हुई है। खासतौर पर जब पंडाल के कपड़े आग से बेहद संवेदनशील हैं, तो अग्निशमन विभाग को इस प्रकार के आयोजन की अनुमति देने से पहले गंभीर सुरक्षा कदम उठाने चाहिए थे। सवाल यह उठता है कि क्यों इस शो को चलाने की अनुमति दी गई और क्यों अग्निशमन विभाग ने पंडाल के अग्नि सुरक्षा मानकों की समीक्षा नहीं की।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा की भी नहीं चिंता
इस शो के दौरान महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। शो में 500 लोगों की अनुमति थी, लेकिन वहां 2000 से अधिक लोग जमा हो गए। इससे भीड़ बहुत अधिक हो गई है, और सुरक्षा के कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं। विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षा की कोई योजना नहीं है, जो उनके जीवन को खतरे में डाल सकती है। शो स्थल के आसपास की गंदगी और अव्यवस्थित व्यवस्था दुर्घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। यह पूरी तरह से प्रशासन की लापरवाही का परिणाम है।
अगर इस शो के दौरान कोई हादसा होता है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या प्रशासन इसे केवल एक सामान्य घटना मानकर चुप रहेगा, या फिर सख्त कदम उठाएगा ?
क्या सिकंदर का जादू लोगों की जान से खेल रहा !
सिकंदर का जादू केवल एक मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह लोगों की जान के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। शो में आग, धुंआ, तेज धारदार वस्तुएं और बिजली के खतरनाक प्रयोग किए जा रहे हैं। इन सबका अगर सही तरीके से प्रबंधन न किया जाए, तो ये किसी भी समय दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। सिकंदर को यह समझना चाहिए कि जब दर्शक अपनी जान जोखिम में डालकर शो देखने आते हैं, तो उनकी सुरक्षा उतनी ही महत्वपूर्ण होनी चाहिए। लेकिन यह शो केवल सिकंदर की कला को प्रदर्शित करने के लिए किया जा रहा है, जबकि सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अगर प्रशासन और शो के आयोजक इस पर ध्यान नहीं देंगे, तो यह शो न केवल एक मनोरंजन का साधन बनेगा, बल्कि एक हादसे का कारण भी बन सकता है।
आखिर जिम्मेदारों ने कैसे दे दी एनओसी!
जिस स्थान पर जादूगर का जादुई खेल चल रहा, दरअसल वह जगह खतरे से खाली नहीं है। शो में सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर जादू का तमाशा दिखाया जा रहा। उनती भीड़ और कपड़े की तंबू से बने टेंट में आग से निपटने के लिए मजह 2 फायर सिलेंडर है। जबकि जगह के लिहाज से कम से कम 6 फायर सिलेंडर होने चाहिए थी। शो के दौरान कोई भगदड़ मच जाए तो उससे निपटने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। महिलाओं और बच्चों के सुरक्षा का भी ध्यान नहीं रखा गया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर प्रशासन ने इस शो की अनुमति कैसे दे दी ! अनुमति दे भी दी तो कभी कोई अधिकारी सुरक्षा मानकों की जांच करने क्यों नहीं गए ! क्या जादूगर ने पैसों के दम पर जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों का ईमान खरीद लिया या फिर प्रशासनिक अधिकारी अंधा, गूंगा और बहरा बने है !
नगर निगम ने साध रखी है चुप्पी
सिगरा क्षेत्र के व्यस्त इलाके में इस प्रकार का अव्यवस्थित और असुरक्षित आयोजन प्रशासन की लापरवाही का संकेत है। नगर निगम ने इस शो के आयोजन से पहले सुरक्षा मानकों की जांच की थी या नहीं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। क्या यह सुनिश्चित किया गया कि सभी आवश्यक सुविधाएं जैसे आग बुझाने की व्यवस्था, मेडिकल सुविधा और सुरक्षित निकासी व्यवस्था उपलब्ध होंगी? नगर निगम और प्रशासन का यह कदम उन पिछली घटनाओं को नकारता है, जिनमें अव्यवस्थित आयोजनों के कारण जान-माल का नुकसान हुआ था। बावजूद इसके नगर निगम के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि वे अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रहे हैं।
हो जाए कोई हादसा तो कौन होगा जिम्मेदार!
सिकंदर का जादुई शो प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। सार्वजनिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों का पालन सख्ती से करना होगा। यह केवल जनता की सुरक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि प्रशासन की अपनी छवि और जिम्मेदारी का भी मामला है। अगर सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता है और कोई हादसा हो जाता है, तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। सार्वजनिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा की घोर अनदेखी की अनुमति देना न केवल अधिकारियों की लापरवाही को दशार्ता है, बल्कि यह एक बड़े हादसे का कारण बन सकता है।
इस पूरी स्थिति से यह साफ है कि प्रशासन और संबंधित विभागों ने न केवल जनता की सुरक्षा को नजरअंदाज किया है, बल्कि उन्होंने यह सुनिश्चित करने में कोई भी प्रयास नहीं किया कि इस शो के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए। यदि कोई अप्रिय घटना घटित होती है, तो इसका खामियाजा सिर्फ शो के आयोजकों को नहीं, बल्कि प्रशासन को भी उठाना पड़ेगा।