काशी में गंगा दशहरा पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, लाखों ने लगाई आस्था की डुबकी

वाराणसी (रणभेरी): आज यूपी में गंगा दशहरा का पर्व भक्ति और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मां गंगा के अवतरण दिवस गंगा दशहरा के अवसर पर गुरुवार को काशी के गंगा घाटों पर मोक्ष की प्राप्ति के लिए श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ी। घाटों पर तिल रखने तक की जगह नहीं दिखी। भोर से ही दूर- दूर से पहुंचे श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई और फिर दान कर मां गंगा का पूजन- अर्चन किया। इसके बाद प्रमुख मंदिरों में मत्था टेकने पहुंचे। गंगा दशहरा का उत्सव ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां गंगा का अवतरण स्वर्ग लोक से धरती पर हुआ था। अस्सी घाट पर मां गंगा को 1100 मीटर की चुनरी चढ़ाई गई।
सुबह से ही दशाश्वमेध घाट सहित अन्य प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। दूर-दराज से आए हजारों श्रद्धालुओं ने मां गंगा की आराधना और पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित किया। गंगा स्नान के साथ ही श्रद्धालुओं ने दीपदान, गंगा आरती और मंत्रोच्चार के माध्यम से गंगा मैया से सुख-शांति और मोक्ष की कामना की। घाटों पर सुरक्षा और व्यवस्था के लिए प्रशासन मुस्तैद रहा। एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें भी घाटों पर तैनात की गईं। काशी की गलियों से लेकर घाटों तक आज का दिन भक्ति भाव और गंगा मैया की जयकारों से गुंजायमान रहा। श्रद्धालुओं का कहना है कि गंगा दशहरा पर काशी में गंगा स्नान का विशेष महत्व है, जिससे सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
दशाश्वमेध घाट के तीर्थपुरोहित विवेकानंद ने कहा कि ज्येष्ठ माह का शुक्ल पक्ष है। इस दिन को गंगा दशहरा के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए मां गंगा की आराधना कर उनको प्रसन्न किया और मां गंगा को धरती पर लेकर आए। श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और मोक्ष पाने के लिए गंगा जी में डुबकी लगाते हैं। गुजरात के राजकोट से आए महंत विजय महाराज ने बताया कि सनातन धर्म में गंगा दशहरा का बहुत महत्व है। आज ही के दिन गंगा जी धरती पर अवतरित हुईं थीं।
इस उत्सव के दौरान लोगों के 10 तरह के पाप से मुक्ति मिलती है। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरा नाम दिया गया है। गंगा स्थान करने वाले श्रद्धालु के पितरों को भी मुक्ति मिलती है। प्रयागराज में एक रुपये के दान का लाभ एक लाख रुपये के बराबर माना जाता है। सीता जी ने मां गंगा को जगत जननी का नाम दिया है। एक श्रद्धालु का कहना है, “हम गंगा दशहरा के अवसर पर पवित्र स्नान करने के लिए संगम में मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती के तट पर आए हैं। इस स्नान से पितर भी प्रसन्न होते हैं। महाकुंभ के आयोजन के बाद से लोगों में अध्यात्म बढ़ा हुआ है।