बेटी के साथ दोबारा नीट पास करने वाले डॉक्टर ने शुरू की मुफ्त कोचिंग

 बेटी के साथ दोबारा नीट पास करने वाले डॉक्टर ने शुरू की मुफ्त कोचिंग

प्रयागराज। शहर जे जाने माने चिकित्सक और न्यूरो सर्जन डॉ. प्रकाश खेतान ने कमजोर छात्रों की मदद करने के लिए पहल की है। अपनी पुरानी संस्था द 21 डॉक्टर्स का नवीनीकरण करा लिया है। यह पूछने पर कि यह आइडिया कहां से आया... वह बताते हैं कि नीट की तैयारी करने वाले एक छात्र की खुदकुशी की झकझोर देने वाली खबर ने इस दिशा में सोचने के लिए विवश किया। बेटी को मेडिकल एंट्रेंस के लिए प्रेरित करने की खातिर 49 साल की उम्र में नीट उत्तीर्ण करने वाले प्रख्यात न्यूरो सर्जन डॉ. प्रकाश खेतान ने अब मेधावियों के लिए मुफ्त कोचिंग शुरू की है। गिनीज बुक रिकॉर्डधारी डॉ. खेतान ने अपनी पुरानी संस्था ''द 21 डॉक्टर्स'' के बैनर तले ऐसे 21 अभ्यर्थियों को डॉक्टर बनाने की ठानी है, जो महंगी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते। डॉ. खेतान ने अपनी पुरानी संस्था  21 डॉक्टर्स के नाम का ट्रेडमार्क पंजीकरण करा लिया है। यह आइडिया कहां से आया... वह बताते हैं कि नीट की तैयारी करने वाले एक छात्र की खुदकुशी की झकझोर देने वाली खबर ने इस दिशा में सोचने के लिए विवश किया। छात्र के परिजनों की माली हालत अच्छी नहीं थी। किसी तरह फीस देकर उसे तैयारी करने भेजा था। फिर, तय किया कि आर्थिक कारणों से किसी का सपना अधूरा न रहे, इसके लिए यथासंभव प्रयास करेंगे। फिलहाल, 21 बच्चों को निशुल्क कोचिंग देने का निर्णय लिया है। चार बच्चे रोजाना शाम को दो घंटे पढ़ने आ भी रहे हैं। पैसे के अभाव वाले दूसरे विद्यार्थी भी कोचिंग लेना चाहें तो स्क्रीनिंग टेस्ट के लिए लैंडलाइन नंबर 0532-2250770/71 पर पंजीकरण करा सकते हैं। टेस्ट पास करने पर फ्री कोचिंग मिलेगी। अपने पेशे में नायाब काम करके डॉ. खेतान ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं, सुर्खियां बटोरी हैं। पिछले साल उन्होंने 49 साल की उम्र में बेटी के साथ नीट पास करके सबको चौंका दिया था। इसमें दोनों ही उत्तीर्ण हुए। बेटी ने 90 प्रतिशत अंक हासिल किए थे, जबकि पिता ने 89 प्रतिशत।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज

डॉ. खेतान का नाम 2011 में गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड और 2012 में लिम्का बुक आफ रिकार्ड्स में भी दर्ज हो चुका है। उन्होंने बांदा की रहने वाली एक आठ साल की बच्ची के ब्रेन से 296 गांठें (हाइडेटेड सिस्ट) निकाल कर यह रिकॉर्ड बनाया था। यह गांठें आज भी इलाहाबाद संग्रहालय में संरक्षित हैं। सफेद रंग की इन रेशेदार गांठों को निकालने में करीब 12 घंटे तक ऑपरेशन चला था। यह बच्ची आज स्वस्थ है।