बिजली विभाग का एक और नया कारनामा
वाराणसी (रणभेरी)। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के परिक्षेत्रीय लेखा कार्यालय (वितरण) का नया कारनामा सामने आया है। सीपीएफ घोटाले में फंसे अधिकारियों ने कज्जाकपुरा डिवीजन से रिटायर हो चुके तकनीशियन (लाइनमैन) सत्यनारायण की पेंशन यह कहते हुए रोक दी कि वह 8 साल तक 10 रुपये अधिक वेतन लेता रहा। इसकी जानकारी विभाग को नहीं दी। पेंशनर के आवेदन पर कज्जाकपुरा डिवीजन के एक्सईएन को जारी पत्र में आठ आपत्तियां लगा दी गईं। उसके खाते में गई 1647 रुपये अधिक राशि की रिकवरी नहीं की गई।
मामला उजागर होने पर अफसरों ने सारा दोष लाइनमैन पर ही मढ़ दिया है। जबकि परिक्षेत्रीय लेखा कार्यालय अपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बच रहा है।एक जुलाई 2008 के वार्षिक वेतन वृद्धि के बाद मूल वेतन 9630 रुपये के स्थान पर 9620 रुपये होना चाहिए था। इसका पता लगाने में 15 साल लग गए। जुलाई 2008 के बाद कर्मचारी का छठें वेतन आयोग की संस्तुति के अनुसार एरियर बना। वर्ष 2016 में कुशल श्रमिक से कर्मचारी का लाइनमैन पद पर पदोन्नति हुई। उस समय कर्मचारी की सर्विस बुक की जांच नहीं की गई। पीड़ित ने आरोप लगाया कि लेखा कार्यालय के अफसर सुनने को तैयार नहीं है। लाइनमैन पेंशन के लिए डिवीजन से लेकर एमडी कार्यालय का चक्कर लगा चुका है।
10 माह से रुकी है पेंशन
लाइनमैन के खाते में गए 1647 रुपये अधिक वेतन की रिकवरी करने की जगह आठ आपत्ति लगा दी गई। जबकि, पेंशन का ब्याज रिकवरी धनराशि से ज्यादा हो गई होगी। पूरा परिवार बिना पेंशन के 10 महीने से परेशान है।
सर्वर ठप, कामकाज बाधित
बिजली विभाग का सर्वर रविवार को बैठ गया। इससे कैश काउंटर पर बिल जमा नहीं हो रहे थे। बड़ी संख्या में उपभोक्ता बिना बिल जमा किए लौट गए। देर शाम स्थिति सामान्य हुई।