काव्य-रचना
तुमसे कुछ कहना था
कुछ खास नहीं है कहने को
तू साथ नही हैं रहने को
कुछ बचा नही हैं सहने को
आंखों में आसूं तक नहीं है बहने को।।
सब कुछ पीछे छूट गया
दिल मेरा फिरसे टूट गया
मेरा यार हैं मुझसे रूठ गया
वो बोल के मुझसे झूठ गया।।
शायद मुझमें कोई कमी रही होगी
किसी और ने कोई बात कही होगी
शायद वो भी मजबूर रही होगी
कुछ तो मजबूरी रही होगी।।
कोई बात नही जो बीत गई
जग की रही हैं रीत यही
गाता रहूंगा गीत यही
नही मिलती सच्ची प्रीत कही।।
लिख लिख कागज भरता हूं
डायरी पे शायरी गड़ता हूं
हर रोज खुद ही से लड़ता हूं
कुछ कर न बैठु बस इसी बात से डरता हूं।।
विशेष सिंह चौहान