भ्रष्टाचारियों के हाथ में वीडीए का भेलूपुर जोन

भ्रष्टाचारियों के हाथ में वीडीए का भेलूपुर जोन

सील के बाद होती है डील, एक भी अवैध निर्माण का वीडीए नहीं कर सका ध्वस्तीकरण 

धन्नासेठों के आगे बेच कर अपना ईमान, भेलूपुर जोनल करवा रहा कई अवैध निर्माण 

सीएम के जीरो टॉलरेंस को भेलूपुर जोनल दिखाते हैं ठेंगा, एक ही मंत्र...जब तक है कुर्सी तबतक खूब जेब भरो

सबसे बड़ा सवाल... आखिर योगी राज में कैसे भ्रष्ट अधिकारियों को भी सौंप दी जाती है कुर्सी !

                                                                                                                                                                              अजीत सिंह 

वाराणसी (रणभेरी): अभी बीते 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए थे और काशीवासियों को करोड़ों की सौगात देकर गए थे। पीएम के साथ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे। लेकिन यह विडंबना है कि जिस काशी के विकास के लिए पीएम और सीएम सतत प्रतिबद्ध और प्रयासरत है उसी काशी में उनके ही एक विभाग के अफसरान काशी की सुंदरता और छवि दोनों पर धब्बा लगाने का काम कर रहा है। आप समझ ही होंगे कि हम बात कर रहे वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) की। वीडीए के ऊपर से लेकर नीचे तक के जिम्मेदार भ्रष्टाचार की कहानी लिखने में इतने मशगूल हैं कि न उन्हें काशी की फिक्र है, न विकास की। फिक्र है तो बस अपनी जेब भरने की। शायद यही वजह है कि शहर में अवैध निर्माणों की बाढ़ आई हुई है। चाहे वो एचएफएल क्षेत्र हो या फिर गंगा का किनारा या फिर बिना मानचित्र स्वीकृत का निर्माण...अगर आप वीडीए के अधिकारियों की जेब गर्म कर देते हैं तो फिर बिना किसी भय और नियम कानून की चिंता किए बगैर अपने मन मुताबिक अवैध निर्माण करा सकते हैं। वीडीए के जिम्मेदार अफसरों ने भ्रष्टाचार की आगोश में आकंठ डूब कर न केवल शहर में अवैध निर्माणों की बाढ़ ला दी बल्कि बर्बादी की एक बड़ी इबारत लिख दी है। धन्नासेठों के आगे अपना ईमान गिरवी रखकर अपनी व्यक्तिगत संपति में भी अपने आय से अधिक विकास की दुनिया बनाने में भी वाराणसी विकास प्राधिकरण एक कदम पीछे नहीं रहा।
वाराणसी, जिसे हम काशी के नाम से भी जानते हैं, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक नगरी है। यहां के गंगा, घाट और मंदिर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय जनजीवन का अभिन्न हिस्सा भी हैं। लेकिन इस प्राचीन नगरी में विकास की आड़ में जो भ्रष्टाचार पनप रहा है, वह बेहद चिंताजनक है। इसका जीता जागता उदाहरण है वाराणसी विकास प्राधिकरण।

सीएम को भी गुमराह करते हैं वीडीए के अधिकारी

प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के भ्रष्टतम विभाग वाराणसी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों का। वीडीए के लोभी अधिकारियों के निजी स्वार्थ की बदौलत शहर में अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गयी है। शहर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहां अवैध मकान न बने हो। वीडीए के भ्रष्ट अधिकारी सील और डील का खेल खेलकर सीएम योगी आदित्यनाथ के आंख में भी निरंतर धूल झोंक रहे  हैं। ये भ्रष्ट अधिकारी अकूत सम्पति अर्जित करने के लालच में अपना ईमान धन्नासेठों और रसूखदारों के चरणों में गिरवी रख चुके हैं। अवैध निर्माण में सबसे बड़ा हाथ वीडीए के जोनल अधिकारी और जेई का होता है।

वाराणसी में इस विभाग के अधिकारी इतने धूर्त और शातिर है की किसी भी अवैध निर्माण की भनक इनको सबसे पहले लग जाती है। सूत्रों बताते हैं कि शहर के चप्पे-चप्पे पर होने वाले वाले अवैध निर्माण का पता लगाने के लिए बाकायदा विभाग के बड़े अफसरों ने अपना-अपना आदमी सेट कर रखा है, जो घूम-घूम कर अवैध निर्माण की रेकी करते है और फिर ऐसे अवैध निर्माण की सूचना वीडीए के बड़े अधिकारी तक पहुंचाते हैं। जिसके बाद जोनल अधिकारी बकायदा लाव-लश्कर के साथ अवैध निर्माण तक पहुंचते है। यहीं से डील डॉल देने के बाद शुरू होता है वीडीए अफसरों का असली खेल। ये अवैध निर्माण को इसलिए सील नहीं करते की यह वास्तव में अवैध हैं बल्कि सील के पीछे इनका मकसद भारी भरकम डील का होता है। असल में वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों ने धर्म नगरी काशी में अधार्मिक कृत्यों का खुलेआम ठेका ले रखा है। वाराणसी में धनबलियों और रसूखदारों के आगे वीडीए के अधिकारी अपना जमीर और ईमान पूरी तरह से गिरवी रख चुके है। एक तरफ शहर में अवैध निर्माणों के खिलाफ अभियान दिखाकर विभाग अपने ही कुकर्मों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है वहीं दूसरी तरफ आज भी शहर के सभी जोन अंतर्गत सैकड़ों ऐसे व्यवसायिक अवैध निर्माण का कार्य प्रगति की ओर है जिन्हें सम्बंधित जोनल अधिकारियों का पूरा संरक्षण प्राप्त है। शहर में एक भी ऐसा अवैध निर्माण नहीं जिसकी भनक वीडीए को ना हो। वीडीए के कर्मचारी सुबह से शाम तक मोहल्लावार शहर के अगल अलग क्षेत्रों में रेकी कर यही पता करते रहते हैं कि कहां-कहां अवैध निर्माण शुरू हुआ है।

...तो क्या एच.ऍफ़.एल. एरिया में अवैध निर्माण के लिए वीडीए ने खोल दिया रेट ?

भेलूपुर जोन के रविंद्रपुरी के एचएफएल एरिया में एक नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक अवैध निर्माण आज भी बेधड़क जारी है। इन सारे अवैध निर्माणों को देखकर ऐसा लगता है जैसे वीडीए ने एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माण कराने के लिए कोई फिक्स रेट तय कर दिया हो ? गुरुधाम चौराहे से लेकर पद्मश्री चौराहे और दुर्गाकुंड के बीच व उसके आस-पास कई अवैध निर्माण हो रहे लेकिन वीडीए के अधिकारी अपना ईमान बेचकर अंधे गूंगे और बहरे बने हुए है। इन सभी अवैध निर्माणों की जानकारी होने के बाद भी वीसी पुलकित गर्ग मौन है और निर्माण बे-रोकटोक जारी है। यह सारे अवैध निर्माण वीडीए अधिकारियों के संरक्षण में हो रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि सारे अवैध निर्माणों के लिए वीडीए के अधिकारियों ने रेट तय कर रखा है। यही वजह है कि जिस एचएफएल क्षेत्र में अवैध निर्माणों पर रोक है वहां धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है। और दिखावे के लिए जहां सील का बोर्ड लगाया गया है वहां भी पर्दे की आड़ में निर्माण हो रहा है। 

आखिर धन्नासेठों के अवैध निर्माण क्यों नहीं गरजता वीडीए का बुलडोजर !

वीडीए के कारनामों को समझना हो तो शहर में होने वाले दो प्रकार के अलग-अलग ऐसे निर्माणों पर नज़र डालिए जहां एक गरीब का निर्माण हो और एक धन्नासेठ का। आप जब पड़ताल करेंगे तो धन्नासेठों का निर्माण बे-रोकटोक होता है। अगर शिकायत के बाद वीडीए के अधिकारी सील भी करते है तो धन्नासेठों के रसूख और ऊंची पैरवी के कारण वीडीए के अधिकार भीगी बिल्ली बन जाते है। या फिर जहां मौका मिलता वहां धन्नासेठों से डील कर अवैध निर्माण में छुट दे दी जाती है, और देखते ही देखते धन्नासेठों का निर्माण पूरा हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ जब बात एक गरीब या मध्यमवर्गीय की हो तो यही वीडीए के अधिकारी जो धन्नासेठों के आगे भीगी बिल्ली बनी थी वह शेर की भूमिका में नजर आते है। सूचना मिलते ही गरीब के निर्माण स्थल पर लाव लश्कर के पहुंचकर जमकर रौब जमाते और सील कर देते। गरीब आदमी किसी तरह वीडीए के अधिकारियों से बात करने की कोशिश भी करता है तो उसे  नियम कानून का डर दिखा कर उसके साथ भी डील करने के लिए विभाग के अधिकारी अपना दलाल छोड़ देते हैं। अगर कोई सेट हो पाया तो ठीक वरना नोटिस के बाद वीडीए के यही जिम्मेदार अधिकारी बुलडोजर या फिर हथोड़ा चलने वाली टीम के साथ ध्वस्तीकरण करने पहुंच जाते। फिर अगले दिन अखबार की सुर्खियों में छपकर अपनी वाहवाही लूटते है। लेकिन इन सारे खेल की जब पड़ताल करेंगे तो पाएंगे कि वीडीए के अधिकारी ऐसा एक भी अवैध निर्माण ध्वस्त नहीं करते हैं जो धन्नासेठों का हो।