बीएचयू सेंट्रल ऑफिस के अंदर घुसकर वीसी ऑफिस किया बंद
पीएचडी प्रोग्राम में एससी-एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन की मांग को अनसुना करने पर छात्रों में भड़का गुस्सा
वाराणसी (रणभेरी): काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सेंट्रल ऑफिस के अंदर घुसकर छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। वहां, कुलपति चेंबर के बाहर गेट पर उन्हें रोक दिया गया। छात्र वहीं बैठ धरने पर बैठे गए हैं। बीएचयू-बहुजन इकाई के 50 से ज्यादा सदस्य वाइस चांसलर मुदार्बाद और आरक्षण अधिकार के नारे लगाते हुए अपनी मांग पर अडिग हैं। बीते 5 दिनों से एनी बेसेंट फेलोशिप में एससी/एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन की मांग को लेकर छात्र अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। 6 अगस्त को विश्वविद्यालय कैंपस में छात्रों ने जबदरस्त विरोध प्रदर्शन किया था। सेंट्रल ऑफिस पहुंचे चीफ प्रॉक्टर प्रो. अभिमन्यु सिंह ने छात्रों से कहा, वाइस चांसलर बीते कुछ दिन से छुट्टी पर बाहर हैं। जब वे कैंपस हैं ही नहीं फैसला कैसे होगा। चीफ प्रॉक्टर ने कहा यहां धरने पर बैठना नियमों का उल्लंघन है। हम थाने में एफआईआर भेज दूंगा।
छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को 11 अगस्त को वाजिब जवाब देने की बात कही थी। जब हम लोग आज जवाब मांगने सेंट्रल ऑफिस के बाहर पहुंचे तो हमको बहलाने का प्रयास किया गया। छात्रों के मुताबिक, प्रशासन के लोग धमकी दे रहे हैं। कहते हैं, ''छात्रों के अधिकारों का हनन भी होगा और धमकी भी दी जाएगी।'' छात्रों ने बताया कि फेलोशिप की यह प्रक्रिया यूजीसी के नियमों के खिलाफ है।
छात्रों में बढ़ रहा आक्रोश
छात्रों को समझाने के लिए पहुंचे विश्वविद्यालय प्रॉक्टोरियल बोर्ड और प्रशासन के लोगों के साथ काफी बहस भी हुई। छात्रों को वहां से उठाने का भरसक प्रयास भी किया गया। मगर वे टस-से-मस भी नहीं हुए। छात्रों और सुरक्षाधिकारियों के बीच काफी तू-तू मैं-मैं और खींचतान भी देखी गई। इस बीच छात्र काफी गुस्से में दिखे।
यह है पूरा मामला
बीएचयू-बहुजन इकाई के वाइस प्रेसिडेंट अजय कुमार भारती ने बताया कि बीते महीने एक नई फेलोशिप स्कीम एनी बेसेंट लांच की गई थी। इसमें यह था कि पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद छात्र डायरेक्ट पीएचडी कर सकेंगे। इसमें पीजी और अन्य क्वालिफिकेशंस की मेरिट पर नंबर मिलेगा। विभाग के टॉप 5 छात्रों का सेलेक्शन पीएचडी में प्रोग्राम में सीधे हो जाएगा। इसके लिए नेट, जेआरएफ या आरईटी एग्जाम भी देने की जरूरत नहीं। हां, जो छात्र इन एग्जाम को पास करता है उसे पूरे तीन साल मंथली 6 हजार रुपए की फेलोशिप भी दी जाएगी।
बिना रिजर्वेशन के छात्रों के साथ न्याय नहीं
छात्रों का कहना है कि इस फेलोशिप में रिजर्वेशन की कोई बात ही नहीं है। यह अन्याय है। एससी-एसटी/, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस कटेगरी में रिजर्वेशन की कोई बात ही नहीं कही गई है। यह संविधान के खिलाफ है। विश्वविद्यालय प्रशासन को अपना फैसला वापस लेना होगा। आरक्षण के नियमों को समाहित करने के बाद फिर से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चालू की जाए। नहीं तो यह आंदोलन काफी बड़े स्तर पर होगा।