नाक कटवा कर सूर्पनखा पहुंची रावण दरबार

नाक कटवा कर सूर्पनखा पहुंची रावण दरबार

वाराणसी (रणभेरी सं.)। श्रीराम के पृथ्वी पर अवतार लेने के निहितार्थ अब सामने आने लगे। भले नाक कटी सूर्पणखा की लेकिन इस बहाने राम और रावण में ठन गई। जिन्होंने इसी दिन के लिए कितनी ही प्रार्थनाएं की थी। इस नाक ने समूची राक्षस बिरादरी के विनाश की भी पटकथा लिख दी। जिसका आगाज भी खर-दूषण वध से हो गया।  लीला के 16वें दिन के प्रसंग के अनुसार राम और लक्ष्मण को देख रावण की बहन सूर्पणखा सुंदर स्त्री का रूप धारण कर राम से विवाह का प्रस्ताव रखती है। खुद को विवाहित बताकर श्रीराम उसे लक्ष्मण के पास भेज देते हैं। कई बार दोनों भाइयों द्वारा टरकाये जाने से क्रोधित होकर वह असली रूप में आ गई। उसका राक्षसी रूप देखकर सीता डर जाती हैं। राम का इशारा पाकर लक्ष्मण उसके नाक कान काट देतें हैं। रोती बिलखती सूर्पणखा अपने भाई खर-दूषण के पास पहुंचकर सारा वृतांत बताती है। खर-दूषण अपनी सेना के साथ राम से युद्ध करने के लिए पहुंचते हैं और श्रीराम के हाथों मारे जाते हैं। अब सूर्पणखा लंका जाकर रावण को सब बात बताती है तो वह उसे समझा कर महल में भेज देता है। उधर लक्ष्मण की अनुपस्थिति में राम ने सीता से कहा कि जब तक मैं नर लीला करता हूं। तुम अग्नि में निवास करो। उन्होंने उनसे अपनी प्रतिमूर्ति वहीं छोड़ने के लिए कहा। यह बात लक्ष्मण को नहीं पता थी।

उधर रावण अपने मामा मारीच को सारी कहानी बताता है। मारीच ने रावण को समझाया कि अगर तुम अपने कुल की भलाई चाहते हो तो राम से बैर मत करो। उसकी बात सुनकर रावण क्रोधित हो जाता है। मृत्यु निश्चित देख वह सोने का कपटी मृग बनकर श्रीराम के पास पहुंचता है। सीता उस पर मोहित हो श्रीराम से उसकी खाल लाने के लिए कहती हैं। राम लक्ष्मण को सीता की रखवाली कहने को कहकर हिरण के पीछे चल देते हैं। दूर तक पीछा करने पर उन्हें क्रोध आ गया और उन्होंने बाण चला दिया। वह हाय लक्ष्मण कह कर गिर पड़ा। सीता श्रीराम को परेशानी में समझ लक्ष्मण को उनकी सहायता के लिए भेज देती हैं। इधर रावण भिखारी का वेश बनाकर सीता के पास भिक्षा मांगने पहुंचा। सीता द्वारा लक्ष्मण द्वारा खींची गई रेखा के अंदर से भिक्षा देने पर रावण भीख लेने से मना कर देता है। जैसे ही वह रेखा से बाहर आती है रावण उनका हरण कर चल देता है। सीता की आवाज सुन गिद्धराज जटायु रावण से लड़ते हैं और उसे अपने प्रहार से मूर्छित कर देते हैं। होश में आने पर रावण तलवार से उनके पंख काट देता है। जिससे वह जमीन पर गिर पड़ते हैं। सीता आकाश मार्ग से जाने के दौरान पर्वत पर बंदरों को बैठा देख अपना चूड़ामणि उतार कर नीचे गिरा देती हैं। रावण सीता को ले जाकर अशोक वाटिका में बैठा देता है। उधर वन में लक्ष्मण को अपने पास आया देख राम चिंतित हो गए। उन्होंने कहा कि तुम सीता को अकेले छोड़कर चले आए। मेरी समझ से सीता आश्रम में नहीं है। तुमने अच्छा नहीं किया। सीता के बगैर मेरा जीवन नहीं के बराबर है। इससे बड़ी विपत्ति और क्या होगी, जो वन में हमने सीता को खो दिया। लक्ष्मण उनसे कहने लगे इसमें मेरा कुछ भी दोष नहीं है। यहीं पर आरती के बाद लीला को विश्राम दिया जाता है।

मुकुट पूजा के साथ ही चौबेपुर रामलीला का हुआ श्री गणेश 

अति प्राचीन श्रीरामलीला कमेटी चौबेपुर के तत्वाधान में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी बुधवार को शाम 8 बजे से मुकुट पूजन के साथ रामलीला की शुरूआत हुई। मुकुट का पूजन पंडित श्रीकांत चतुवेर्दी ने श्री रामलीला समिति के संरक्षक अवनीश चंद्र बरनवाल के हाथों मुकुट पूजन करवाया।