क्षमा बिंदू ने किया एकल विवाह: खुद भरी अपनी मांग में सिंदूर, बिना दूल्हे और पंडित के निभाई शादी की रस्में
(रणभेरी): गुजरात के वडोदरा की 24 वर्षीय क्षमा बिंदु ने अपना दुल्हन बनने का सपना पूरा करते हुए आखिरकार खुद से शादी कर ही ली। क्षमा बिंदु मीडिया ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी सुर्खियों में छा रहीं। क्षमा बिंदु ने तय तिथि से तीन दिन पहले यानी बुधवार 08 जून को एकल विवाह (सोलोगैमी विवाह) कर लिया। दरअसल, क्षमा बिंदु पहले 11 जून को एकल विवाह करने का ऐलान किया था। लेकिन, क्षमा बिंदु ने तय तारीख से 3 दिन पहले यानी 08 जून बुधवार को आखिरकार खुद से शादी रचा ली। क्षमा बिंदु ने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि वह उस दिन होने वाले विवाद से बचना चाहती थी।
क्षमा बिंदु के एकल विवाह को लेकर विवाद उठने लगा था। कहा जा रहा था कि हिंदू धर्म में इस तरह के विवाह का प्रावधान नहीं है। क्षमा को मंदिर में इस तरह से विवाह नहीं करने देने की भी चेतावनी दी गई थी। क्षमा ने बिना दूल्हे के सात फेरे लिए। उन्हें सहेलियों व रिश्तेदारों ने हल्दी लगाई। वडोदरा की पूर्व डिप्टी मेयर सुनीता शुक्ला ने तो क्षमा को किसी मंदिर में विवाह नहीं करने देने की चेतावनी दी थी। उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय विवाद पद्धति में ऐसे विवाह को मान्यता नहीं है। यह एक विदेशी वेब सीरिज से प्रेरित कदम है। शुक्ला का कहना है कि एकल शादियों का चलन बढ़ने से हिंदुओं की आबादी कम होगी।
क्षमा बिंदु को दी गई थी चेतावनी
क्षमा बिंदु के एकल विवाह को लेकर विवाद उठने लगा था। भाजपा नेता सुनीता शुक्ला ने कहा था, 'मैं मंदिर में शादी के खिलाफ हूं, उसे किसी भी मंदिर में खुद से शादी करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। ऐसी शादियां हिंदू धर्म के खिलाफ हैं। इससे हिंदुओं की आबादी कम होगी। अगर कुछ भी धर्म के खिलाफ जाता है, तो कोई कानून नहीं चलेगा।' इतना ही नहीं, क्षमा बिंदु के पड़ोसी व कुछ हिंदू वादी संगठनों ने भी इस शादी का विरोध किया था और विवाह नहीं करने देने की भी चेतावनी दी गई थी।
वडोदरा के गोत्री स्थित अपने घर में क्षमा ने हिंदू रीति रिवाजों के साथ शादी की। इस खास शादी में न तो दूल्हा था और न ही सात फेरे की रस्म पूरी कराने वाला पंडित। शादी में क्षमा के परिजनों के अलावा करीबी दोस्त मौजूद थे। कहा जा रहा है कि देश में इस तरह की पहली शादी है। बीते दिनों क्षमा बिंदु ने एकल शादी करने का एलान किया था। उन्होंने 11 जून को वडोदरा के एक मंदिर में खुद से शादी की घोषणा करते हुए कहा था कि वह शादी नहीं करना चाहती, लेकिन इस परंपरा को निभाने के लिए खुद से शादी करेंगी। क्षमा ने जैसे ही खुद से शादी का एलान किया था, विरोध शुरू हो गया था। हालांकि, विरोध करने वालों की तादाद बहुत अधिक नहीं थी, लेकिन इस डर से कहीं शादी के दिन बखेड़ा खड़ा न हो जाए, क्षमा ने 11 जून की बजाए 8 जून को ही शादी कर ली।
मंदिर में विवाह का विरोध होने और पंडित द्वारा रस्म पूरी कराने से इनकार के बावजूद क्षमा पीछे नहीं हटी और उसने एकल विवाह को अंजाम दे दिया। पंडित की कमी पूरी करने के लिए टेप पर विवाह के मंत्र बजाकर रस्में पूरी की गईं। क्षमा ने सोलोगेमी मैरिज का एलान करते वक्त ताया था कि वह कभी शादी नहीं करना चाहती थी, लेकिन दुल्हन बनने का सपना था, इसलिए उन्होंने खुद से शादी करने का फैसला किया। उसने देश में एकल शादी कर मिसाल पेश की है। क्षमा एक निजी कंपनी में नौकरी करती हैं। उसने कहा कि कुछ लोग इसे अप्रासंगिक मान सकते हैं, लेकिन वह यह बताना चाहती हैं कि कि महिलाएं मायने रखती हैं। उनके माता-पिता खुले विचारों के हैं। उन्होंने इस शादी के लिए आशीर्वाद दिया। क्षमा अब शादी के बाद दो सप्ताह के लिए हनीमून पर गोवा भी जाएगी।