कौन 'एक' बनेगा करोड़पति! बर्बादी का नया फैशन है ड्रीम- 11
*सरकारी मान्यता प्राप्त है तो बर्बाद करना भी जायज, वरना कानून के नजरों में जुआ खेलना-खेलवाना नाजायज !
वाराणसी (रणभेरी)। जुआ और सट्टा युवाओं को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। युवा पीढ़ी बिना मेहनत के रातों रात करोड़पति बनने के चक्कर में जुए के चक्रव्यूह में फंसते जा रहे। जुए की लत ने युवाओं को न सिर्फ बर्बाद कर रहा बल्कि कइयों की जिंदगी भी छीन ले रहा है। यूं तो जुआ खेलना कानूनी रूप से अवैध है लेकिन अगर वही कोई सरकारी मान्यता से इस खेल का आयोजन करता है तो उसे लीगल की संज्ञा दे दे जाती हो। चाहे वो लीगल हो या इलीगल लेकिन जुआ तो जुआ है। जी हां हम बात कर रहे सरकार से मान्यता प्राप्त और कानून के नजरों में वैध ड्रीम-11 और माई-11 सर्कल जैसे आॅनलाइन प्लेटफार्मों की। ड्रीम-11 का शोर इन दिनों टीवी चैनलों से लेकर युवाओं व नौकरी पेशा लोगों की जुबान पर चढ़ा हुआ है। हर दूसरा युवा या नौकरी पेशा व्यक्ति इन दिनों ड्रीम-11 के खेल में डूबा हुआ मिल जायेगा। रातों रात करोड़पति बनने के चक्कर में युवा पीढ़ी इसकी लती बन रही है। जो एक खतरनाक बीमारी के रूप में उन्हे अपनी गिरफ्त में लेती जा रही है। एक तरह से मौन सरकारी संरक्षण में चल रहे इस ड्रीम 11 गेम (जुआ) के चक्कर में युवा बर्वाद हो रहे है। बड़े बड़े क्रिकेट सितारे टीवी पर इसका प्रचार करते साफ देखे जा सकते है। जो चन्द रूपयों में करोड़पति बनने का सपना युवाओं को दिखा रहे है, और युवा उनके बुने शब्द जाल के बहकाने में आकर अपनी खून पसीने से अर्जित कमाई यहां लगाकर बर्बाद हो रहा है। यदि समय रहते इस तरह की तमाम गेम ऐप पर रोक नही लगायी गयी तो मानसिक अवसाद से ग्रसित युवाओं की एक बड़ी फौज देश में होगी।
क्या है ड्रीम-11
बता दें कि ड्रीम-11 एक ऐसा खेल है जो 39 व 59 रूपए में युवाओं को रातों रात करोड़पति बनने का सपना दिखा रहा है। कभी जीतने पर 1 करोड़ तो कभी दो करोड़ और आजकल 4 करोड़ की राशि जीतने पर दी जा रही है। इस चक्कर में लाखों युवाओं को इस खेल की लत लगी हुई है और अपनी वर्षों की मेहनत की कमाई को यूं ही बर्बाद करने में लगे हुए है। सरकारी क्षेत्र में तैनात कर्मचारी भी इसका शिकार बनते जा रहे है। आखिर बने भी क्यो न दिन में कोई चैनल खोलें तो ड्रीम-11 का विज्ञापन पल-पल आपके आखों के सामने चलता रहेगा। बड़े बड़े क्रिकेट सितारे इस खेल का प्रचार करते देखे जाते है और विज्ञापन के अंत में यह जरूर बोलते है कि इसमें वित्तिय जोखिम है और इसकी लत भी लग सकती है। जब आस पड़ोस में कोई आदमी करोड़पति बनता है तो दिमाग का कीड़ा और जाग जाता है कि जब यह जीत सकता है तो में क्यों नहीं। अब तो देखा देखी में एक नहीं 15-20 टीमें लगाकर करोड़पति बनने की फिराक में रहते है। लालच आता ही है। लेकिन यह लालच न आए उसके दृढ़ शक्ति बहुत कमजोर होती है। ऐसे भी कई लोग है जो ड्रीम-11 पर इसका शिकार हो रहे है। इस बबार्दी में युवा पीढ़ी ही नहीं कई बुद्धिजीवी भी प्रतिदिन हजारों रूपए इस खेल में लगा रहे है। इस खेल में प्रतिदिन लोग पैसे की बबार्दी देख मानसिक तनाव से पीड़ित हो रहे है जिसके चलते छोटी- छोटी बातों पर उनकी परिजनों व मित्रों से नोक- झोक भी होना आम हो गया है। सबसे ज्यादा असर युवाओं में तनाव व चिड़चिड़ेपन के रूप मे देखा जा रहा है, ये खेल नशे की भांति युवाओं के मानसिक संतुलन को खोखला कर रहा है। समाज का एक धड़ा इस खेल को सही मानता है और एक धड़े ने इसे आधुनिक जुए की संज्ञा दी है। अब युवाओं और बुद्धिजीवियों को खुद तय करना है कि इस खेल में भााग लेना है या दूरी बनानी है।
आनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स गेम जुआ नहीं तो क्या!
ड्रीम-11 को बंद करने के लिए एक शख्स ने कोर्ट में याचिका दायर किया था लेकिन कोर्ट ने ड्रीम-11 आनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स गेम पर प्रतिबंध लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा था कि ड्रीम-11 आनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स गेम जुआ नहीं है। याचिका में कहा गया था कि ड्रीम 11 के नाम पर आम जनता को ठगा जा रहा है। ड्रीम 11 के खिलाफ दाखिल याचिका को हाई कोर्ट ने भी खारिज कर दिया था, जिस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट की नजरों में ड्रीम-11 भले ही जो हो लेकिन समाधान यही है की इसकी गिरफ्त में आकर लोग बेवजह अपना पैसा न गवाएं। जब लोग जागरूक होंगे तो करोड़पति बनने की चाह में शिकार नहीं होंगे। सवाल ये है कि अगर ड्रीम-11 सही हैं तो सट्टा और जुआ क्यों नहीं !