रेट तय फिर भी जारी हैं आटो, ई-रिक्शा चालकों का आतंक 

रेट तय फिर भी जारी हैं आटो, ई-रिक्शा चालकों का आतंक 

वाराणसी (रणभेरी सं.)। महाकुंभ से स्नान के बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालु रोडवेज बस से सफर कर कैंट बस अड्डे पर पहुंचे। तीन पैसेंजर थे। उन्होंने आॅटो वाले से लहुराबीर जाने के लिए पूछा तो आॅटो ने 500 रुपए किराया बताया। श्रद्धालुओं ने कहा, यहां से सिर्फ तीन किमी है लहुराबीर और इतना किराया मांग रहे हो, यह तो गलत है। आटो वाले ने बोला कि पांच सौ ही लगेगा, चलना तो बोलो नहीं तो आगे जाइए। श्रद्धालु आटो पर नहीं बैठै। जबकि कैंट-लहुराबीर तक आॅटो या ई-रिक्शा से प्रति यात्री किराया 20 रुपए तय है। इस हिसाब से 60 रुपए किराया हुआ, लेकिन आॅटो वाला 440 रुपये किराया ज्यादा मांग रहा था। दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान के बाद एक ही परिवार के चार लोगों ने श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन किया। इसके बाद वे लोग पैदल बेनियाबाग पहुंचे। वहां से आॅटो किया। आॅटो वाले ने चार पैसेंजर चार सौ रुपये किराया मांगा। पैसेंजर को रोडवेज से प्रयागराज के लिए बस पकड़ी थी। 

वे चार सौ रुपये देकर बेनियाबाग से रोडवेज पहुंचे। जबकि बेनियाबाग से कैंट रोडवेज तक आॅटो या ई-रिक्शा से प्रति यात्री किराया 25 रुपये तय है। इस हिसाब से 100 रुपये किराया हुआ, लेकिन आटो वाले ने 300 रुपये किराया ज्यादा लिया। ये दो केस सिर्फ बताने के लिए हैं कि सड़कों पर आटो व ई-रिक्शा वालों ने कितना आतंक मचा रखा है। मौका पाते ही ये लोग अपने पुराने ढर्रे पर आ गए हैं। श्रद्धालुओं से मनमाना किराया ही नहीं ले रहे, बल्कि बदतमीजी भी कर रहे हैं। महाकुंभ को देखते हुए संभागीय परिवहन विभाग, नगर निगम और ट्रैफिक विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त बैठक की थी। इसमें आटो और ई- रिक्शा के यूनियन के पदाधिकारियों को भी शामिल किया गया था। बैठक में सभी की सहमति से विभिन्न रूटों का किराया तय किया गया, जिसकी सूची भी नगर निगम की ओर से जगह-जगह चस्पा की गई है। बावजूद इसके लिए आॅटो व ई-रिक्शा चालक श्रद्धालुओं से मनमाना किराया वसूल रहे हैं। आरटीओ अमला भी कागजी कोरम कर नदारद है।

श्रद्धालु पैदल ही यात्रा करने को मजबूर

कैंट स्टेशन पर मध्य प्रदेश से आए मंगेश देवंशी ने पत्नी के साथ विश्वनाथ धाम जाने के लिए आटो को बुलाया तो उसने बेनियाबाग तक जाने का 400 रुपये मांगा। निवेदन करने के बाद भी वह नहीं मान रहा था तो वे दोनों पैदल ही चल दिए। उन्होंने बताया कि अभी इतने पैसे नहीं है कि आॅटो वाले को देने के लिए इसलिए स्टेशन हम लोग धीरे-धीरे पैदल ही चल रहे हैं। इसी तरह राजस्थान के भरतपुर से वाराणसी पहुंचे परिवार ने विश्वनाथ धाम जाने के लिए आॅटो किया तो उसने पांच सौ रुपये किराया मांगा। काफी मनाने के बाद भी रेट कम नहीं किया तो वे लोग भी पैदल ही चल दिए। उन्होंने बताया कि होटल वाले मनमानी तरीके से पैसे मांग रहे हैं। राबर्ट्सगंज से आए राहुल सिंह ने बताया कि भीड़ इतनी भयानक है कि पैदल जाने का मन नहीं है। आटो वाले को ज्यादा पैसा देकर सोनारपुरा पहुंचा हूं, लेकिन होटल वालों द्वारा इतना पैसा मांगा जा रहा है, जो हम देने में सक्षम नहीं है। सनातन धर्म इंटर कालेज में ही रात गुजारेंगे।

एसआई ने ई-रिक्शा चालक को सबक सिखाया

शहर के अंदर चार पहिया वाहन को प्रवेश नहीं होने दिया जा रहा है, जिसकी वजह से आॅटो और ई-रिक्शा चालाक मनमाने पैसे मांग रहे हैं। इसी बीच ड्यूटी से वापस जाते समय थाना लक्सा के उपनिरीक्षक कर्मवीर ने ई-रिक्शा चालक को सबक सिखाया। एक परिवार को रोहनियां भास्कर तालाब जाना था। पैसे कम होने के कारण ई-रिक्शा वाले के दुर्व्यवहार से उसे काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कर्मवीर ने तुरंत उसे धमकाया और खुद अपनी से जेब से तय किराया देकर कर श्रद्धालुओं को आटो से रोहनियां भेजा।

महाकुंभ में आम लोगों को परेशानी न हो। इसका विशेष ध्यान दिया जा रहा है। आटो और ई-रिक्शा का किराया तय है। बावजूद इसके वे अधिक किराया मांग रहे हैं तो यह मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है। इस पर सख्त कार्रवाई होगी। इसी के साथ चालकों द्वारा निर्धारित वर्दी न पहनने पर अब कार्रवाई होगी। - शिखर ओझा, आरटीओ