काव्य-रचना

काव्य-रचना

  पद कुर्सी से बेवफाई किया हूं  

वर्तमान भारी तकलीफों को देखकर 
दिल में उठी आवाज़ महसूस किया हूं 
पद कुर्सी से जीवन भर हरे गुलाबी लिया हूं 
पद और कुर्सी से बेवफाई किया हूं 

बीमारी पर लाखों खर्चा किया हूं 
परिवार में अकेला पड़ा महसूस किया हूं 
घूसखोरी का परिणाम महसूस किया हूं 
पद और कुर्सी से बेवफाई किया हूं 

जैसी करनी वैसी भरनी नजरों से देख रहा हूं 
हरे गुलाबी का नतीजा देख रहा हूं 
रिटायरमेंट के बाद बीमारी बेज्जती झेल रहा हूं 
पद और कुर्सी से बेवफाई किया हूं 

अय्याशी में जीवन बिता नतीजा भुगत रहा हूं 
दाने-दाने को मोहताज हूं समझ रहा हूं 
साथियों अब घूसखोरी करना मत समझा रहा हूं 
पद और कुर्सी से बेवफाई किया हूं 

शासन से वफादारी करना समझा रहा हूं 
बेवफाई का अंजाम भुगत रहा हूं 
मैंने खून चूसा अब बीमारी को चुसवा रहा हूं 
पद और कुर्सी से बेवफाई किया हूं 

एडवोकेट किशन सनमुख़दास