काव्य-रचना

काव्य-रचना

  चुड़ैल   

अभी-अभी
कबरिस्तान के खेत से लौटते वक्त
घुप अँधेरी बँसवारी में
एक चुड़ैल को
देखकर
मैं छर गया
मेरी रूह काँप गयी
मेरे रोएँ खड़े हैं

उसने पास आ कर
पूछा कि
क्या सफेद साड़ी में औरत 
चुड़ैल होती है

मैं निस्तब्ध, निःशब्द 
व सुन्न हूँ!

गोलेन्द्र पटेल