कैंट के सर्कुलेटिंग-एरिया में पानी के लिए तरसते राहगीर
वाराणसी(रणभेरी)। कैंट रेलवे स्टेशन पर लगातार यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए रेलवे कटिबद्ध है। यात्रियों की सुविधाओं के लिए व्यवस्थाएं की जा रही है। वहीं गर्मी को देखते हुए रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से लेकर 11 तक पानी के करीब 41 बूथ बनाए गए हैं। इन बूथों पर कुल 143 टैब हैं। जिनसे यात्रियों को पानी लेने में सुविधा होती है। वहीं रोजाना 80 हजार यात्रियों के आवागमन वाले रेलवे स्टेशन के बड़े सकुर्लेटिंग एरिया में एक भी पानी का बूथ न होने से यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इस मामले में स्टेशन मैनेजर ने कहा कि 'हम प्लेटफार्म पर सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। सकुर्लेटिंग एरिया में पानी की व्यवस्था करना रेलवे की जिम्मेदारी नहीं है। ऐसा कोई प्रोसीजर रेलवे बोर्ड का नहीं है।' जबकि इस इलाके में कोई भी संस्था कार्य नहीं कर सकती और यह एरिया रेलवे के ही अंडर आता है। वाराणसी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के साथ ही साथ कार, आॅटो और ई-रिक्शा पार्किंग में पार्क वाहनों के ड्राइवरों और यात्रियों को छोड़ने आने वाले लोगों को गर्मी में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 80 हजार यात्रियों पर एक टैंकर : स्टेशन मैनेजर और पार्किंग में वाहन पार्क करने वाले ड्राइवर और यात्रियों से बात की गई। इस दौरान जलकल का एक टैंकर लोगों की पानी की कमी पूरी करता दिखाई दिया। कैंट रेलवे स्टेशन पर रोजाना 80 हजार यात्री आते और जाते हैं। ऐसे में स्टेशन के सकुर्लेटिंग एरिया और प्लेटफार्म के पहले स्थित चेकिंग पाइंट और रिकत घर पर हजारों यात्री अपनी ट्रेनों की प्रतीक्षा करते देखे जाते हैं। ऐसे में इन्हें यदि प्यास लगे तो इन्हें बोतल का पानी या फिर प्लेटफार्म पर जाना होता है। यदि इनको कोई छोड़ने आने वाला हो तो उसे सकुर्लेटिंग एरिया में जलकल के टैंकर के सहारे ही अपनी प्यास बुझानी पड़ेगी।
जिम्मेदार आखिर कौन है?
जब इस संदर्भ में कैंट रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर गौरव दीक्षित का कहना है कि हमारे यहां 12 प्लेटफार्म हैं, इस समय दो बंद चल रहे हैं, क्योंकि कार्य चल रहा है। 10 प्लेटफार्म पर सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं। हर एक प्लेटफार्म पर खाने-पीने और पानी पीने के लिए व्यवस्था की गई हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर सारी व्यवस्थाएं की गई हैं तो राहगीर क्यों परेशान हो रहे हैं फ्री में पानी पीने के लिए यात्रियों को भी नहीं मिल रहा है। इसका जिम्मेदार आखिर कौन है?