भूमाफियाओं का जज्बा, लेखपाल का फर्जी हस्ताक्षर बना कर लिया जमीन कब्जा

भूमाफियाओं का जज्बा, लेखपाल का फर्जी हस्ताक्षर बना कर लिया जमीन कब्जा
  •  जिस लेखपाल के फर्जी हस्ताक्षर पर भूमि को किया कब्जा, वह आधिकारिक लेखपाल का नहीं
  • भेलूपुर के सराय सुरजन में कूटरचित दस्तावेज के जरिए दबंगों ने 26 बिस्वा जमीन पर जमाया कब्जा  
  • भेलूपुर  पुलिस ने बीते दिसंबर माह में बिना दस्तावेज की जांच किए जबरन ही दिलवाया था कब्जा
  • दबंगों के रसूख के आगे पीड़ित की नहीं हो रही सुनवाई, न्याय के लिए दर-दर भटक रहा पीड़ित
  •  हाइकोर्ट के आदेश को भी नहीं मानती पुलिस, जबकि हाइकोर्ट ने कहा है कि भूमि विवाद में प्रशासन नहीं कर सकता हस्तक्षेप 

 वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। मुख्यमंत्री के तमाम दावों और भूमाफियाओं के लिए सख्त निर्देश के बावजूद प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भूमाफियाओं का दबदबा कायम है। यह भूमाफिया पहले गरीबों की जमीन पर नजर गाड़ते है, फिर अपने रसूख के दम और फर्जी कागजात के बदौलत स्थानीय पुलिस को अपने अर्दब में लेकर उस गरीब के जमीन पर कब्जा जमाने के लिए चढ़ाई करते हैं।  भूमाफिया यह भली भांति जानते हैं कि उनके दबंगई और रसूख के आगे उसका कोई कुछ नहीं कर पाएगा और फिर वह आसानी से उस जमीन को हड़प लेगा। दबंगों के आगे पीड़ित कुछ कर नहीं पाता और फिर न्याय के लिए वह स्थानीय थाने से लेकर पुलिस के उच्चाधिकारियों के चौखट पर न्याय की भीख मांगता रह जाता है, लेकिन उसकी फरियाद को कोई सुनने को तैयार नहीं होता। सुने भी कौन ! वहीं जिसने भूमाफिया के साथ मिलकर उस गरीब के जमीन पर कब्जा दिलाया था या फिर वो जिसके लिए गरीब एक इस देश की  संख्या मात्र है। यह विडंबना है कि जिस अधिकारी पर न्याय दिलाने की जिम्मेदारी होती है वहीं रसूखदारों के साथ मिलकर अन्याय में अपनी सहभागिता निभाते है। ऐसे में यह सवाल उठना तो लाजमी है कि साहब... गरीब का अपना कौन !

भेलूपुर थाना क्षेत्र के सराय सूरजन वार्ड नगवां में दबंग भूमाफियाओं ने पुलिस की मिलीभगत से करीब 26 बिस्वा जमीन को जबरन कब्जा कर लिया।  खोजवां, किरहिया निवासी पीड़ित कन्हैया का भेलूपुर थाना क्षेत्र के सराय सूरजन वार्ड नगवां में खाता सं.- 00079 आराजी नं.- मि. 298, रकबा 0.0790 हे. यानि कुल 6 गाटा, करीब 26 बिस्वा जमीन है, और वह उसका मालिक है। कन्हैया उक्त आराजियात पर अपनी बाउंड्री व कमरा आदि बनवाकर वर्षों से काबिज दखील चला आ रहा है। 

हाल के दिनों में मालवीय बाग पाण्डेय हवेली का रहने वाला फैयाज अहमद, जावेद, एजाज व मुमताज अहमद जो कि एक दबंव व असखातस भूमाफिया है, कि नियत उस वक्त बिगड़ गई जब इनकी नजर इस जमीन पर गई। पीड़ित का आरोप है कि फैयाज अहमद, जावेद, एजाज व मुमताज ने तथा फैयाज के दबंग ड्राइवर ने अन्य लोग को अपने साजिश में लेकर फर्जी व फौरेबी ढंग से कूटरचित दस्तावेजों को तैयार करवाया। फिर इन भूमाफियाओं ने दबंगई व गुण्डागर्दी के बल पर फर्जी व फौरेबी ढंग से लेखपाल तथा तहसीलदार सदर आदि का फर्जी हस्ताक्षर व स्टैम्प लगाकर फर्जी चौहद्दी प्रमाण पत्र तैयार करवा लिया।  फर्जी व फौरेबी ढंग से इस तरह की कूटरचित दस्तावेज बनाने वाली इस गोल ने फिर अपने रसूख के दम पर तत्कालीन बजरडीहा चौकी इंचार्ज को अपने अर्दब में लिया। उसके बाद पुलिस की मिलीभगत से बीते साल 25 जून को इसी कूटरचित फर्जी दस्तावेज के आधार पर पीड़ित की चहार दिवारी तोड़ दिया, व जमीन हड़पने का प्रयास किया लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के बाद वो अपने मनसूबे में कामयाब नहीं हो सके। 

जब पीड़ित ने तीन माह बाद अपनी चहार दिवारी आदि बनाकर गेट लगाया तो उक्त भूमाफियाओं ने 13 सितंबर 2024 को दोपहर करीब 2 बजे गेट तोडकर अन्दर घुस गये और अन्दर तोड़ फोड़ किया। इतना ही नहीं , दबंगों ने पीड़ित कन्हैया का रखा पुराना सन्दुक फावड़ा व कण्डाल लोहे की अढ़िया आदि भी चुरा ले गये। जब पीड़ित कन्हैया ने अपने टूटे हुए संदूक की मरम्मत करवा रहा था उसी वक्त तत्कालीन  चौकी इंचार्ज बजरडीहा व कुछ अन्य सिपाही मौके पर धमक पड़े और पीड़ित को ही धमकाते हुए भाग जाने की नसीहत व धमकी दे डाली। पुलिस के इस रवैए से पीड़ित परिवार डर गया

 पीड़ित ने न्याय की आस से इस घटना की सूचना थाना भेलूपुर पर दिया लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। आलम यह है कि इस विवाद में आए दिन झगड़ा फसाद की स्थिति पैदा हो रही है, लेकिन पुलिस पीड़ित की सुनने को तैयार नहीं। पीड़ित की मांग पर जब इस मामले में पुन: जांच हुई तो लेखपाल कानूनगो द्वारा अपनी रिपोर्ट में विवादित भूमि की चहारदीवारी व गेट को कन्हैया बिन्द की बतायी गयी। मौके पर पहुचे नायब तहसीलदार ने भी उक्त परिसर में किसान को काबिज पाया था जिसे पुलिस ने दबंगों के साथ मिलकर बेदखल करा दिया। 

आरटीआई में बताया कि हस्ताक्षर लेखपाल का नहीं 

किसान के जिस 26 बिस्वा जमीन पर दबंगों ने जिस फर्जी कागजात के आधार पर जमीन को कब्जा किया उस मामले में जब हस्ताक्षर की पुष्टि के लिए जनसूचना विभाग से जब जवाब मांगा गया तो तहसील कार्यालय ने बाताया कि हस्ताक्षर लेखपाल के नहीं है। ऐसे मं यह सवाल पुलिस के कार्यप्रणाली पर भी उठता है कि आखिर किस आधार पर बिना जांच किए फर्जी दस्तावेज के आधार पर भूमाफियाओं को जमीन पर कब्जा दिला दिया !

भूमि विवाद में प्रशासन नहीं कर सकता हस्तक्षेप

 हाइकोर्ट ने कहा था - प्रशासन का कार्य कानून व्यवस्था बनाए रखना, सिविल विवाद में न्यायिक निर्णय नहीं ले सकता प्रशासन

हाइकोर्ट ने भले ही एक मामले में यह कहा था कि भूमि विवाद में प्रशासन हस्तक्षेप नहीं कर सकता पर यह जमीनी हकीकत है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में पुलिस कानून व्यवस्था से ज्यादा भूमि विवादों को सुलझाने में दिलचस्पी दिखाती है। एक मामले में  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्रशासन को चल संपत्ति के स्वामित्व या कब्जे मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा था कि प्रशासन केवल बीएनएसएस के तहत कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अधिकृत है, लेकिन वह किसी भी सिविल विवाद में न्यायिक निर्णय नहीं ले सकता। उक्त मामले में कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को अपनी कार्रवाई तत्काल वापस लेने और याची को कब्जा लौटाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि संपत्ति के स्वामित्व व कब्जे से संबंधित अंतिम निर्णय अपीलीय अदालत द्वारा किया जाएगा। 

लेखपाल के फर्जी हस्ताक्षर से जारी इसी रिपोर्ट को आधार बनाकर भूमाफियाओं ने पुलिस के बल पर किया गरीब किसान की जमीन पर कब्जा

कौन है ये भूमाफिया

जिन भूमियाओं ने गरीब किसान के 26 बिस्वा जमीन को पुलिस की मिलीभगत से कब्जा कर लिया है उनका नाम है... फैयाज अहमद, जावेद, एजाज व मुमताज । सूत्रों ने बताया कि भूमाफिया प्रवृत्ति के ये लोग मालवीय बाग पाण्डेय हवेली के रहने वाले है और इन लोगों का यह पेशा है कि पहले तो ये अपने गुर्गों के साथ मिलकर किसी गरीब के जमीन का फर्जी दस्तावेज बनवा लेते हैं फिर उसी के आधार पर पुलिस को अपने अर्दब में लेकर कमजोरों की जमीन पर कब्जा कर लेतें है। सूत्रों ने यह भी बताया कि इन दबंगों ने  ऐसे ही करके दर्जनों नामी-बेनामी संपत्ति रखी है। पैसों के दम पर पुलिस को अपने पक्ष में कर लेना इनके लिए सबसे आसान काम होता है जिसके सहारे सामाजिक व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की जमीन मकान पर कब्जा करने में ये माहिर माने जाते है। सरकार यदि इनकी संपति की जांच करा ले तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।