नौसेना को मिला पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, नौसेना के झंडे से हटा अंग्रेजों का निशान

नौसेना को मिला पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, नौसेना के झंडे से हटा अंग्रेजों का निशान

(रणभेरी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को भरतीय नौसेना को अपना पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत सौंपा। पीएम मोदी ने कोच्चि शिपयार्ड में करीब डेढ़ घंटे चली कमिशनिंग सेरेमनी में ये एयरक्राफ्ट कैरियर नेवी को सौंपा। साथ ही एक और बड़ा बदलाव हुआ। नेवी को नया नौसेना ध्वज सौंपा गया। इसमें से अंग्रेजों की निशानी क्रॉस का लाल निशान हटा दिया गया है। अब इसमें तिरंगा और अशोक चिह्न है, जिसे PM मोदी ने महाराज शिवाजी को समर्पित किया।

पीएम ने इसके साथ आइएनएस विक्रांत की खूबिया भी गिनाईं और इसे भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार बताई। बता दें कि इस युद्धपोत पर कई तरह के जंगी जहाज तैनात किए जा सकते हैं। आइए जानें कौन-कौन से जंगी जहाज इसपर तैनात किए जाएंगे। आइएनएस विक्रांत पर 30 एयरक्राफ्ट तैनात किए जाएंगे। इनमें 20 लड़ाकू विमान होंगे और 10 हेलीकाप्टर होंगे। अभी विक्रांत पर Mig-29K (ब्लैक‌ पैंथर) फाइटर जेट तैनात होंगे। अब नौसेना डीआरडीओ और एचएएल द्वारा तैयार किए जा रहा टीईडीबीएफ यानी डबल इंजन डेक बेस्ड फाइटर जेट तैनात कर सकता है। फिलहाल अभी इसमें कुछ देर लग सकती है, क्योंकि टीईडीबीएफ के पूरी तरह से तैयार होने में कुछ साल लग सकते हैं। इस बीच अमेरिका का F-18A सुपर होरनेट या फिर फ्रांस का राफेल तैनात किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि INS विक्रांत भारत सरकार के डिफेंस सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों का उदाहरण है। आज भारत उन देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अपनी तकनीक से ऐसे बड़े जहाज बना सकते हैं। PM बोले कि हमें आज नौसेना का नया ध्वज भी मिला है। इसमें अंग्रेजों के सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाकर छत्रपति शिवाजी महाराज के राजचिह्न को शामिल किया गया है। नौसेना के पास एक ऐसा युद्धपोत है, जो अपने आप में एक तैरता एयरफील्ड और शहर है। इस पर बनने वाली बिजली से 5 हजार घर रोशन हो सकते हैं और इसमें लगे तार केबल अगर कोच्चि से शुरू हों तो कन्याकुमारी तक जाएं। PM ने कहा कि ये भारतीयों के लिए गर्व का मौका है। ये भारत की प्रतिभा का उदाहरण है। ये सशक्त भारत की शक्तिशाली तस्वीर है। विक्रांत विशाल है, ये खास है, ये गौरवमयी है। ये केवल वारशिप नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के कठिन परिश्रम, कौशल और कर्मठता का सबूत है। आज INS विक्रांत ने भारतीयों को नए भरोसे से भर दिया है।